कृषि बिल समर्थक व कृषि बिल विरोध की बीच होगा विधानसभा मुकाबला
किसान आंदोलन धीरे धीरे ही सही अब भाजपा के खिलाफ आंदोलन बनता जा रहा है, पश्चिम बंगाल में संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों व आम जनता से विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने की अपील की है, ताकि मोदी सरकार पर दवाब बने और कृषि बिल वापसी को लेकर जो चार महीने से आंदोलन चल रहा है उसकों नयी ताकत मिल सके। कृषि बिल का विरोध कर रहे देश के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह इन विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरा कर किसान आंदोलन को मजबूत बनाये।
किसान आंदोलन से जूडे नेता अभी तक खूल कर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने का साहस नही कर सके थे जबकि 11 दौर की बातचीत बेनतीजा साबित हुई थी, इसके बाद भी किसान आंदोलन भाजपा े खिलाफ नही हुआ । हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद किसान नेता खूल कर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलते दिखाई दे रहे है। पश्चिम बंगाल जहां भाजपा पूरी ताकत से साथ चुनाव लड़ रही है, किसान नेताओं ने बंगाल मेंं ही भाजपा के खिलाफ बिगूल फुकते हुए किसानों व आम जनता से भाजपा के हराने की अपील की है। किसानों ने किसी पार्टी का समर्थन नही किया है लेकिन भाजपा को हराने की अपील कराना साबित करता है कि किसानों को भी इस बात का एहसास हो गया है कि मोदी सरकार की राजनीतिक ताकत को कमजोर किये बगैर कृषि बिल को लेकर लड़ी जा रही एतिहासिक लड़ाई किसी मुकाम तक नही पहुंचेगी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि किसानों से आगामी पंाच विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा के खिलाफ मोर्चा खेाल कर मोदी सरकार को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब किसान आंदोलन सड़कों की लड़ाई के साथ ही भाजपा की राजनीतिक ताकत को कमजोर करने के लिए भी मैदान में उतरने का तैयार है। गौरतलब है कि हरियाणा उत्तरप्रदेश में भाजपा विधायकों व मंत्री को गांव में आने से रोका जा रहा है, जो इस बात के संकेत है कि भाजपा के प्रति लोगों का रूझान कम होने लगा है। किसान मोर्चा के नेताओं व इस आंदोलन का समर्थन करने वाले सभी लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वह पांच राज्यों में भाजपा को हराने के लिए अपने अपने स्तर पर सौ प्रतिशत प्रयास करे, क्योकि इन राज्यों में भाजपा की जीत किसान आंदोलन को कमजोर कर सकता है, इसलिए इन विधानसभा चुनावों में कौन जीतता हेै यह महत्वपूर्ण नही है जितना भाजपा को हराना महत्वपूर्ण हो गया है कृषि बिल का विरोध करने वालों के लिए।