April 30, 2025

झीरम जांच राजनीतिक की भेंट तो नही चढ़ जायेगी?

विधानसभा चुनाव के पूर्व न्यायिक जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी या नही?

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का झीरम घटना अहम मुद्दा था कि सरकार बनने के बाद वह झीरम घटना के दोषियों को सजा दिलायेगी। लेकिन तीन साल बाद भी यह मुद्दा भाजपा और कांगेे्रस विवाद में फंसा गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि केंद्र सरकार झीरम मामले की जांच नही होने दे रही है। ऐसे में दोषियों तक सरकार बचे दो सालों में कैसे पहुंच पायेगी यह बड़ा सवाल है? वही झीरम घटना की न्यायिक रिपोर्ट भी राज्यपाल को सौपने के बाद राजनीति शुरू हो गयी। सरकार ने कुछ नये बिन्दुओं के साथ न्यायिक आयोग का कार्यकाल 6 महीने बढ़ा दिया है। सवाल यह है क्या विधानसभा चुनाव से पहले न्यायिक जांच की रिपोट भी सार्वजनिक हो पायेगी, जो कांग्रेस के लिए कम से कम बस्तर में सबसे अहम मुद्दा था विगत दो विधानसभा चुनाव का।
झीरम घटना के बाद बस्तर में कांग्रेस की पकड़ मजबूत होती गयी, इसलिए कांग्रेस पार्टी के झीरम मुद्दा के दोषियों को पकडऩे का वादा पूरा करने का अतिरिक्त दबाव भी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले की जांच नही होने देना चाहती है, जो बताता है कि झीरमघाटी का मुद्दा भी कांग्रेस और भाजपा के राजनीति की भेंट भ्रष्टाचार के मुद्दे की तरह चढ़ जायेगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांगे्रेस के लिए झीरम अहम मुद्दा है, बचे दो सालों में कांग्रेस सरकार झीरमघटना के दोषियो तक पहुंचने के लिए क्या करती है इस पर सभी की नजर है, क्योकि अगर आगामी विधानसभा चुनाव तक राज्य सरकार दोषियों तक पहुंच पाने में सफल नही हो सकी तो निश्चित ही आगामी विधानसभा चुनाव में झीरम घटना का मुद्दा कांग्रेस किस तरह से उठा पायेगी? कांग्रेसी नेता भाजपा सरकार में हुई इस नक्सली घटना को षडयंत्र बताते रहे है। न्यायिक जांच की रिपोर्ट भी राज्यपाल के सौंपने के बाद इस मामले पर राजनीति विवाद खड़ा हो गया और वर्तमान सरकार ने न्यायिक आयोग का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा भी दिया है। सवाल यह है कि नये बिन्दुओं के साथ क्या छ महीने से न्यायिक जांच का काम पूरा होकर यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो पायेगी? या यह भी जांच के मामले की तरह राजनीति की भेंट चढ़ जायेगी।

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