एक देश एक राष्ट्रभाषा का नारा जब मोदी सरकार में नही लग पा रहा है तो दूसरों की सरकार में कैसे लगेंगा ?
हिन्दी राष्ट्रभाषा को लेकर कन्नडा अभिनेता किच्चा सुदीप और हिन्दी अभिनेता अजय देवगन के बीच शुरू विवाद पर मोदी सरकार के नेताओं की चीन मामले की तरह चुप्पी आम जनता के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है, जबकि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और एच डी कुमारस्वामी, के साथ ही सीएम बासवराज बोम्बई ने खुल कर कहा कि हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नही है, दक्षिण भारत के अन्य राज्य भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा नही मानते है। राजनीतिक गलियारों मे चर्चा का विषय बनता जा रहा है कि जिस तरह से खुल कर दक्षिण के नेता हिन्दी राष्ट्रभाषा का विरोध कर रहे है वैसे हिन्दी क्षेत्र के नेता हिन्दी को राष्ट्रभाषा का समर्थन क्यो नही कर रहे है। हालात यह है कि मोदी सरकार की खुल कर तारीफ करने वाली अभिनेतत्री कंगना राणावत ने भी हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बताने से परहेज करते हुए कहा कि हमारा ऐसा देश है जहां बहुत सारी विविधताएं, कई भाषाएं और अपनी संस्कृतियां हैं। हर किसी को अपनी भाषा और अपनी संस्कृति पर गर्व करने का जन्मसिद्ध अधिकार हैं। मैं एक पहाड़ी हूं, और मुझे इस पर गर्व है। ऐसे हालातों में हिन्दी राष्ट्रभाषा कैसे बन पायेगी?
कांग्रेस सरकार ने हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा नही बनाया कम से कम मोदी सरकार, इसकों लेकर आने वाले दिनों ने नेहरू को नही कोस पायेगें, क्योकि 70 सालों के बाद मोदी सरकार में केजीएफ दो के भारी सफलता के बाद हिन्दी राष्ट्रभाषा को लेकर कन्नड़ अभिनेता किच्चा सुदीप और हिन्दी अभिनेता अजय देवगन के बीच शुरू हुए विवाद पर मोदी सरकार ने चीन मामले की तरह ही पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है, वही दक्षिण के नेता हिन्दी का विरोध कर रहे है। मोदी सरकार राष्ट्रभाषा के विवाद में पड़कर दक्षिण भारत में भाजपा में सत्ता तक पहुचने के रास्ते का बंद नही करना चाहती है इसलिए वह इस विवाद से अपने आपकों दूर ही रखे हुए है। वही मोदी सरकार का खुल कर समर्थन करने वाले अभिनेता भी इस मामले पर गोलमोल जवाब दे रहे है, जिससे स्पष्ट होता है कि देश की राष्ट्रभाषा बनाने में मोदी सरकार और उनके समर्थकों को भी परहेज है। जबकि देश के हिन्दी क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ बेहद मजबूत है। इसके बाद भी मोदी सरकार एक देश एक कानून की तरह ही एक देश एक राष्टभाषा का नारा बुलंद नही कर रही है। अपने बयानों से विवादों चर्चा में रहने वाले अभिनेती कंगना राणावत ने भी हिन्दी को राष्ट्रभाषा के मामले पर स्पष्ट जवाब ना देकर कहा कि देश में बहुत सारी विविधताएं, कई भाषाएं, और संस्कृतियां का हवाला देते हुए कहा कि हर किसी को अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करने के साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से देश की राष्ट्रभाषा संस्कृत होनी चाहिए, संस्कृत कन्नड, तमिल, गुजराती और हिन्दी से पुरानी भाषा है। ये सभी भाषाएं संस्कृत से आई हैं।