छत्तीसगढ़ की 12 जातियोंं को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने का श्रेय लेने वाले राजनीतिक दल, माहरा समाज को आरक्षण से क्यो वंचित रखा, इसका कारण अभी तक क्यों नही बताया ?
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर छत्तीसगढ़ की 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किये जाने की श्रेय की लड़ाई भाजपा और कांग्रेस के बीच शुरू हो गई है, इस लड़ाई में किसका पलड़ा भारी पड़ता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन कोई भी राजनीतिक दल यह नही बता रहा है कि माहरा समाज जो लम्बे से आरक्षण की मांग कर रहा है उसे क्यों शामिल नही किया। जबकि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी उनके आरक्षण का समर्थन करके उसका राजनीतिक लाभ उठा चुुकी है।
केंद्र सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ की 12 जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने के बाद राजनीतिक पारा गर्माने लगा है, अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने के लिए कांग्रेस व भाजपा के बीच श्रेय लेने की लड़ाई युद्धस्तर पर चल रही है, जिसके चलते आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है, क्योकि किसकों श्रेय दिया जायें, क्योकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है, वही केंद्र में भाजपा की सरकार है। राज्य में जब भाजपा की सरकार 15 सालों तक थी और कुछ साल छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी 12 जातियों को आरक्षण का लाभ क्यों नही मिला? यह सवाल कांग्रेसी आम जनता के बीच उठ रहे है। वही भाजपाईयों को कहना है कि केंद्र मेें कांगेस की लम्बे समय सरकार थी उस वक्त यह आरक्षण क्यों नही दिया। श्रेय की इस लड़ाई में बस्तर में माहरा समाज जो लम्बे समय से आरक्षण दिये जाने की लड़ाई लड़ रहा है, उसे क्यो आरक्षण का लाभ नही मिला, इसका जवाब श्रेय लेने वाली भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी के नेता नही दे रहे है जबकि उनके आरक्षण की मांग का समर्थन करके चुनावों में उनका समर्थन भी ले चुके है। बस्तर संभाग में महारा समाज की आबादी लगभग पांच लाख के आसपास है, जो पिछले चुनाव में भाजपा सरकार से नाराजगी के चलते कांग्रेस के साथ खड़ी थी, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में वह किसके साथ जायेगी यह भी बड़ा सवाल है क्योकि भाजपा के बाद कांग्रेस से भी उन्हें वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करके किनारे कर दिया है।