October 23, 2024

सत्ता में रहने के बाद आरोप लगाना ठीक नही है?

चार सालों में कांग्रेस सरकार भाजपा नेताओं व नक्सलियों के सांठगाठ को उजागर क्यों नही कर पाई? अब लगा रही है आरोप

बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के करीबी माने जाने वाले नेता के जी सत्यम के नक्सली गिरफ्तार के कांग्रेसियों को याद आया कि नक्सलियों के साथ भाजपा नेताओं के भी संबंध है। कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव से मांग करते हुए कहा कि नक्सलवाद की इतनी ही चिंता है तो भाजपा नेताओं से संबंध की जांच केंद्रीय गृहमंत्री से करावें, लेकिन उन्होंने यह नही बताया कि कांग्रेस की चार साल की सरकार में वह क्यों और किन कारणों के चलते भाजपा नेताओं की नक्सलियों के संबंध की जांच नही करा सकी ?

नक्सली सांठगांठ, जनता को गुमराह करने का मुद्दा बना

बस्तर को सत्ता का प्रवेश द्वार माना जाता है भाजपा बस्तर में अपनी खोयी जमीन वापस पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी के करीबी नेता के जी सत्यम की तेलंगाना पुलिस द्वारा नक्सली मामले पर गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक पारा गर्माने लगा है। भाजपा इस मामले के माध्यम से कांग्रेसियों के नक्सलियों के साथ संबंध को मुद्दा बना कर घेरने में जूट गई है। कांग्रेस संचार माध्यम के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने जवाबी हमला करते हुए भाजपा नेताओं के नक्सलियों से संाठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि लता उसेंडी, रमन सरकार के मंत्री रामविचार नेताम के नक्सलियों को चंदा देते रशीद सामने आई थी, धमेंद्र चोपड़ा भाजपा के तत्कालीन सांसद, जगत पुराजा, भाजपा के पूर्व विधायक का पुत्र जिला अध्यक्ष पोडियम लिंगा भाजपा पदाधिकारी ने जांच क लिए पत्र लिखा। शुभ्रांशु चौधरी की पुस्तक का हवाला देकर हुए कहा कि नक्सली भाजपा नेता लता उसेंडी और विक्रम उसेण्डी के धर खाना खाते थे, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव को नक्सलवाद की चिंता है तो केंदीय गृहमंत्री से भाजपा नेताओं की जांच करायें। सवाल यह है कि कांग्रेसियों के पास भाजपा नेताओं की नक्सली सांठगांठ की इतनी जानकारी होने के बाद भी विगत चार सालों मेंं भाजपा नेताओं की नक्सलियों के साथ सांठगांठ की जांच क्यों नही कराई? कांग्रेस सरकार नक्सलियों से भाजपा नेताओं के सांठगांठ को उजागर करके भाजपा के राष्ट्रवाद के नारे की भी हवा निकाल सकती थी, लेकिन कांग्रेसियों को भाजपा नेताओं के साथ नक्सलियों की नेताओं की सांठगांठ उस वक्त याद आ रही है जब कांग्रेस के विधायक के करीबी पर नक्सलियों से साथ मिले होने का आरोप लग रहा है।

जांच कराने से सरकार को कौन रोक रहा था

कांग्रेसियों को राज्य की जनता को बताना चाहिए कि क्या जीरम घाटी की जांच की तरह भाजपा नेताओं के साथ नक्सली सांठगांठ की जांच में मोदी सरकार राज्य सरकार का सहयोग नही कर रही थी इसलिए वह इस मामले की जांच नही करा पाये? राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनावी वर्ष में एक बार फिर पूर्व की तरह कांग्रेस व भाजपा के नक्सली संबंधो के आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करके जनता को ध्यान मूल मुद्दे से भटकाने में सफल हो जायेगें? जैसा की पूर्व में भी होता रहा है। कांग्रेस सरकार जीरम घाटी के दोषियों तक नही पहुंच पाई और ना ही भाजपा और नक्सलियों के सांठगांठ को ही उजागर कर पाये, सत्ता में होनेे के बाद भी सिर्फ आरोप लगाना बताता है कि वह इस मामले पर गंभीर नही है।

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