नरेंद्र मोदी के खिलाफ कौन पूछने वाली भाजपा छत्तीसगढ़ में सीएम प्रत्याशी बताने से कर रही है परहेज
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव मोदी जी के चेहरे पर लड़ा जायेगा, बताता है कि छत्तीसगढ़ भाजपा में कोई भी सर्वमान्य नेता नही है, इसलिए पार्टी को एकजूटता बनाये रखने के लिए भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहारा ले रही है, यह रणनीति क्या धरातल में कामयाब हो पायेगी? क्योकि प्रधानमंत्री के चुनाव में भाजपा कांग्रेस से सवाल करती है कि नरेंद्र मोदी के मुकाबले कौन, लेकिन छत्तीसगढ़ में वह जनता को अपना मुख्यमंत्री का नाम तक बताने से परहेज कर रही है। क्या जनता को भाजपा के चुनाव जीतने पर मुख्यमंत्री कौन बनेगा यह जानने का अधिकार चुनाव के वोटिंग के वक्त नही है?
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुए छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा ही साफ हो गया और कांग्रेस दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में आई। डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी भाजपा को छत्तीसगढ़ में मिली करारी हार के बाद भाजपा नेताओं के हौसले ही पस्त होने के साथ ही पार्टी की अंदरूनी गुटबंाजी भी सार्वजनिक होने लगी,जिसके चलते भाजपा का आलाकमान यह दावा लम्बे समय से करता रहा है कि छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें पर विगत दिनों एक टीवी इंटरव्यू में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी इस पर मूहर लगा दी है उनका भी कहना है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी। सवाल यह है कि डॉ रमन सिंह 15 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी भाजपा को उन पर भरोसा क्यों नही है? भाजपा आलाकमान को छत्तीसगढ़ भाजपा में एक भी ऐसा नेता नही दिख रहा है जो पार्टी को एकजूट प्रदान कर सके। पार्टी में एकजूटता बनाये रखने के लिए भाजपा आलाकमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लडऩे का फैसला जरूर लिया है, लेकिन क्या यह रणनीति धरातल में कामयाब होगी, क्योकि छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी भाजपा की एतिहासिक हार सामना करना पड़ा, वही बस्तर से भाजपा का पूरी तरह से सफाया हो गया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हिमाचल प्रदेश चुनाव में भाजपा आलाकमान की मनमानी तरीके से टिकट काटे जाने पर भाजपा नेताओं ने बगावत कर दी थी, जिसकी गूंज छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी भाजपा में सुनाई दे सकती है, क्योकि भाजपा के अंदर भी टिकट को लेकर घमासान अभी से मचा हुआ है विधानसभा चुनाव आते तक यह लड़ाई और तेज होगी। वही दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश की जीत से कांग्रेसियो के हौसले भी बुलंद है।