भाजपा कार्यालय में घूसने के बाद यह दूसरा मामला जिमसें भाजपाईयों ने अपने कदम वापस खीचते दिखें
प्रधानमंत्री आवास योजना दिलाने के नाम पर संजय गांधी वार्ड की पार्षद कोमल सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को लेकर भाजपा का आंदोलन नगर बंद के दूसरे दिन ही स्थगित हो जाना आम जनता के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है कि बगैर मांग पूरी हुए कैसे भाजपा नेताओं ने आंदोलन बंद कर दिया। क्या पार्टी के बड़े नेताओं का दबाव के चलते इस आंदोलन को स्थगित किया गया?
प्रधानमंत्री आवास योजना दिलाने के नाम पर पैसा उगाही मामले पर भाजपा बेहद आक्रामक नजर आ रही थी, इस आंदोलन में भाजपा के बड़े बड़े नेताओं के शामिल होने से निश्चित ही इस आंदोलन को नयी धार मिली। आम जनता के बीच भी भाजपा की यह लड़ाई चर्चा का विषय बनी, जिसके चलते ही 8 फरवरी को आयोजित नगर बंद बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स और मुख्य मार्ग व्यापारी संघ के विरोध के बाद भी व्यापारियों ने अपनी दुकानों को स्वेच्छा से दोपहर तक बंद रख कर इस लड़ाई में सहयोग दिया , लेकिन बंद के अगले दिन ही यह आंदोलन को अचानक स्थगित कर दिये जाने से आम जनता के साथ ही राजनीतिक दल के लोग भी आश्चर्यचकित हो गये । एक पखवाड़े से अधिक समय से चल रहा यह आंदोलन बगैर किसी मुकाम तक पहुंचे बगैर ही बीच में खत्म हो जाने से राजनीतिक हल्कों में यह चर्चा गर्माने लगी है गौरतलब है कि 9 फरवरी को दोपहर भाजपा कार्यालय में आयोजित पत्रवार्ता में भाजपा नेताओं ने आंदोलन के स्थगित करने की कोई जानकारी नहीं दी थी। भाजपा कार्यालय में हमले के बाद यह दूसरा मामला है जिसमें भाजपाई ने अपनी लड़ाई बीच में ही छोड़ दी। ज्ञात हो कि भाजपाई ने दावा किया था कि पार्षद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराये बगैर वह अपनी लड़ाई खत्म नही करेंगे। सबसे आश्चर्य का विषय यह था कि नगरबंद के अगले दिन ही भाजपाईयों ने अपनी लड़ाई स्थगित करके कही ना कही व्यापारियों व इस लड़ाई में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वालों को भी निराश ही किया है।