बंगाल व असम हरा कर मोदी सरकार की चुलें हिला सकते है किसान
मोदी सरकार की राजनीतिक ताकत को कमजोर किये बगैर किसान आंदोलन अपना उद्देश्य कभी पूरा नही कर सकता है। किसान नेता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को और तेज करने के लिए नया फॉर्मूला दिया है कि हर गांव से एक टै्रक्टर पर 15 लोग दस दिन के लिए आंदोलन में आएं तो आंदोलन लंबा चलेगा। आंदोलन को लंबा चलाने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार की राजनीतिक पकड़ को कमजोर करने के लिए भी किसान नेताओं को रणनीति बनानी चाहिए। किसान आंदोलन के 100 दिन होने पर चक्का जाम किया गया लेकिन मोदी सरकार अभी भी किसान आंदोलन से ज्यादा विधानसभ्ज्ञा चुनाव में गंभीर है। किसान आंदोलन के बाद भी हरियाणा में सहयोग से चल रही भाजपा सरकार सत्ता में कायम है। पश्चिम बंगाल, असम सहित देश के दक्षिण भारत में विधानसभा चुनाव होने वाले है, मोदी सरकार का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल व असम पर केङ्क्षद्रत है। किसान आंदोलन से जूडे नेता व आंदोलनकारी विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा को बुरी तरह से पराजित कर देते है तो निश्चित ही मोदी सरकार को किसान आंदोलन से होने वाला पहला बड़ा राजनीतिक नुक्सान होगा, जिसके चलते अभी तक किसान आंदेालन को गंभीर नही लेने वाली मोदी सरकार भी सत्ता में कमजोर हो रही अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए आंदोलनकारियों की मांग को गंभीरता से लेने को मजबूर होगी। राजनीतिक जानकारों का भी मानना हेै कि किसान आंदोलन तब ही सफल होगा जब मोदी सरकार की राजनीतिक पकड़ कमजोर हो, इसके लिए जरूरी है कि कृषि बिल का विरोध में आंदोलन कर रहे सभी किसान नेता के साथ ही सभी आंदोलनकारियों की जिम्मेदारी है कि आगामी पश्चिम बंगाल व असम चुनाव में भाजपा का सुपड़ा साफ करके किसान ताकत से मोदी सरकार को अवगत कराये, कि किसान आंदोलन सिर्फ कुछ राज्यों का आंदोलन नही है इस आंदोलन की गुंज देश के हर कौने कौने तक पहुंच गयी है। मोदी सरकार बंगाल व असम का विधानसभा चुनाव जीतती हेै तो किसान आंदोलन कितना भी लंबा चले, मोदी सरकार को कोई फर्क नही पडऩे वाला है क्योकि जब जनता चुनाव में उनके साथ है,तो फिर किसान आंदोलन की चिंता क्यो करें। पश्चिम बंगाल जहां भाजपा का कोई खास जनाधार नही है पिछले चुनाव में भाजपा को मात्र 4 सीट ही मिली थी, ऐसे राज्य में किसान आंदोलन के दौरान सत्ता तक पहुंच सकती है तो जहां पर उसका जनाधार है वहां पर किसान आंदोलनकारी क्या कर पायेगें यह आत्मविश्वास भी मोदी सरकार में पैदा हो जायेगा। किसान नेता राकेश टिकैत जरूर बंगाल की महापंचायत में चुनाव के पूर्व शामिल होगेें लेकिन पूरे चुनाव के दौरान सभी किसान नेता व आंदोलनकारियों की जिम्मेदारी है कि वह बंगाल में भाजपा को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाये क्योकि मोदी सरकार की हार ही किसान आंदोलन की ताकत बन सकती है। किसान नेताओं को आंदोलन लंबा खींचने के साथ ही साथ ही मोदी सरकार की राजनीतिक ताकत को कमजोर करने की भी रणनीति बनानी चाहिए तब ही आंदोलन सफल होगा।