भाजपा की जीत में हिंसा का कितना योगदान? समीक्षा जारी है
त्रिपुरा में हिसा के बाद हुए निकाय चुनावों में भाजपा को एतिहासिक सफलता मिली। टीएमसी जो बंगाल मे बाद त्रिपुरा में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही थी उसमें पूरी तरह से नामाकयाब रही। वही माकपा का भी सुपड़ा साफ हो गया है। त्रिपुरा निकाय चुनाव का परिणाम में भाजपा एकतरफा जीतने पर भाजपा आलाकमान के साथा ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खूशी जाहिर की है। बंगाल भाजपा के नेता दिलीप घोष ने इस जीत पर कहा कि त्रिपुरा नगर निकाय चुनाव के परिणामों ने पूर्वोत्तर राज्य में पैठ जमाने की टीएमसी की दावों का खोखलापन उजागर हो गया है। राज्य के लोगों ने भाजपा पर भरोसा किया है। राजनीतिक गलियारों में निकाय चुनाव में मिली इस शानदार जीत की समीक्षा भी हो रही है कि चुनाव पूर्व त्रिपुरा में हुई हिंसा का इस जीत में कितना योगदार है, क्योकि हिंसा का लाभ भाजपा को ही हर चुनाव में मिलता है, त्रिपुरा में भाजपा सत्ता में होने के कारण दोहरे लाभ की स्थिति में थी। विपक्षी दल जरूर राज्य सरकार पर धांधली का आरोप लगा रहे हेै लेकिन निकाय चुनाव में विपक्ष का पूरी तरह से सफाया हो जाना स्पष्ट करता है कि टीएमसी की त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, क्योकि निकाय चुनाव में टीएसपी और माकपा का पूरी तरह से खत्म हो गयी है, कांग्रेस तो बंगाल की तरह यहां पर खाता भी नही खोल सकी।
बंगाल हार पर मलहम लगाया इस जीत ने
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बंगाल में टीएमसी के हाथों भाजपा के मिली पराजय के बाद से जिस तरह से बंगाल भाजपा में नेताओं की पलायन की शुरूआत हुई थी उससे कही ना कही मोदी सरकार की छवि भी खराब हो रही थी लेकिन त्रिपुरा निकाय चुनाव में टीएमसी की हार से भाजपा के जख्मों में मलहम लगाने का काम किया है, वही इस जीत से बंगाल में भी नेताओं के पलायन पर भी विराम लग सकता है