भारत पाकिस्तान मैच रद्द करने की जगह देशद्रोह का मामला दर्ज करना आसान लगता हेै मोदी सरकार को
भारत की राजनीति में पाकिस्तान एक अहम मुद्दा बन गया है, विरोधियों को निशाना साधने के लिए भाजपा नेता पाकिस्तान समर्थक व पाकिस्तान जाने की सलाह देने में जरा भी देरी नही करते है। वही विधानसभा चुनावों में जनता को यह समझाने का प्रयास भाजपा नेता करते हेै कि विरोधी जीत गये तो पााकिस्तान बना देगें? वही पाकिस्तान के साथ भारत को क्रिकेट मैच खेलने में किसी भी प्रकार की कोई समस्या नही होती है, जबकि विश्व कप में भारत की हार के बाद कई जगहों पर तनावपूर्ण माहौल था, कई लोगों को देशद्रोह के तहत मामला भी दर्ज किया गया था, इसके बाद भी एशिया कप में भारत और पाकिस्तान की मैच की तैयारी शुरू हो गयी है। सवाल यह है कि जब दोनों देशों के बीच इतनापूर्ण हालात है तो फिर ऐसे में क्रिकेट को लेकर दोनों देश क्यो सहमत है। क्या देश से बड़ा पैसा हो गया है? यह सब उस वक्त हो रहा है जब गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जयशाह बीसीसीआई में सचिव पद पर काबिज है वही 2024 तक एशियन क्रिकेट काउंसिल का अध्यक्ष भी बना दिया गया है।
जयशाह के रहते भारत पाक मैचों को मिल रही है हरी झंडी?
जब देश में मोदी सरकार नही थी उस वक्त विपक्ष का कहना था कि क्रिकेट व आंतकवाद साथ साथ नही हो सकते है, मोदी सरकार आने के बाद भारत पाकिस्तान के बीच क्रिकेट पूरी तरह से बंद है लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत पाकिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार नही किया है जबकि भाजपा समर्थक बाबा रामदेव भी भारत को पाकिस्तान से विश्व कप में मैच नही खेलने की मांग कर की थी। विश्व कप में भारत के पाकिस्तान के हाथों मिली हार के बाद देश के कई हिस्सों में तनावपूर्ण माहौल बनने के साथ ही कई लोगों पर देशद्रेाह के अंतर्गत मामले भ्भी दर्ज किये गये, इसके बाद भी बीसीसीआई ने कोई सबक नही सीखा और एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच की तैयारी में जूट गया है, जो श्रीलंका में अगस्त व सितम्बर में खेला जाना है, इसके बाद विश्व कप मे भी भारत और पाकिस्तान की बीच मैच होना है। सवाल यह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बेहद तनावपूर्ण हालात है तो फिर दोनों देशों के बीच क्रिकेट खेलने को लेकर सरकार क्या सहमत है? देश में एक तरफ पाकिस्तान के नाम पर वोट मंागा जा रहा है वही दूसरी तरफ दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच आयोजित करके मोटी कमाई भी की जा रही है, वह भी गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जयशाह के बीसीसीआई के सचिव पद पर रहते हो रहा है? इसका यही मतलब निकल रहा है कि मोदी सरकार को पाकिस्तान से क्रिकेट खेलने में किसी प्रकार की कोई आपत्ति नही है, सिर्फ जनता को गुमराह करने के लिए ही चुनावों में पाकिस्तान मुद्दे को हवा दी जाती है ताकि धु्रवीकरण की राजनीति करके सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत बनायी जा सकें।
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देश से बड़ा पैसा तो नही है?
भारत पाकिस्तान और श्रीलंका में आयोजित विश्व कप प्रतियोगिता में आंतकवाद के चलते श्रीलंका में होने वाले मैचों का टीमों ने बहिष्कार करके अपना अंक बगैर खेले ही गवां दिया था, मोदी सरकार भी पाकिस्तान से होने वाले मैचों का बहिष्कार करके स्पष्ट संदेश दे सकता है कि आंतकवाद व क्रिकेट एक साथ नही हो सकते है। साथ ही उन लोगों को भी करारा जवाब दे सकती हेै जो आरोप लगाते है कि भारत और पाकिस्तान मुकाबले में इतना पैसा है कि दोनों सरकारें चाह कर भी मैच का बहिष्कार नही कर सकती है।