एकलव्य स्कूल आदिवासी बाहूल सरगुजा और रायगढ़ को मिला
बस्तर के भाजपाई भी केंद्र सरकार के बजट को एतिहासिक बजट बता रहे है लेकिन इस बजट में बस्तर को क्या मिला यह किसी ने भी नही बताया। केंद्रीय बजट में छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहूल सरगुजा और रायगढ़ को एक एक केंद्रीय एकलव्य स्कूल मिला, लेकिन बस्तर कोमोदी सरकार ने भुला दिया। देश में कुल 750 एकलव्य स्कूल को मंजूरी प्रदान की गयी है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्रीय बजट में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, और बस्तर में सैनिक स्कूल खोलने का प्रस्ताव दिया था लेकिन केंद्र सरकार राज्य सरकार के इस प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया । वही बजट में आदिवासी विश्वविद्यायल या बस्तर कैम्पस के काम को भी आगे नही बढ़ाया गया। भाजपा नेताओं ने भी बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए कई प्रस्ताव दिये थे, उसे भी नकार दिया गया है। इसके बाद भी बस्तर के भाजपाई केंद्रीय बजट को शानदार बता रहे है, लेकिन इस बजट से बस्तर को क्या मिला यह नेता नही बता रहे है। आदिवासी बाहूल सरगुजा के लुण्ड्रा और रायगढ़ के लैलूंगा को एक एक एकलव्य स्कूल मिला लेकिन बस्तर को मोदी सरकार केंद्रीय एकलव्य विद्यालय से भी वंचित कर दिया। रायपुर- विशाखापट्नम फोरलेन सड़क योजना को भाजपाई व बस्तरवासियों की मांग के बाद भी बस्तर से नही गुजर रही है और ना ही इस योजना पर काम ही अभी तक शुरू हो सका है। सवाल यह है कि राजनीतिक दल के नेता अपनी राजनीति हितों के चलते बस्तर की उपेक्षा के बाद भी वाहवाही में लगे रहते हैं, जिससे जरूर उनका हित तो साध लेते हैं, लेकिन बस्तर का शोषण जारी रहता है।