दूसरे सीडीएस की नियुक्ति के पूर्व किसी और को जिम्मेदारी क्यों नही दी मोदी सरकार ने
मोदी सरकार द्वारा अपने दूसरे कार्यकाल में सीडीएस की नियुक्ति को रक्षा सुधारों के अहम कदम के तौर पर देखा गया था, कारगिल युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं में तालमेल की कमी के मद्देनजर उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टार्स ने पाया कि तीनों सेनाओं में तालमेल होता तो नुक्सान भी कम होता, लेकिन राजनीति सहमति नही बन पाने के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। भारत के पहले सीडीएस बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर कै्रश के बाद यह पद अभी तक खाली है, मोदी सरकार ने दूसरे सीडीएस की नियुक्ति के पूर्व रक्षा मंत्रालय के इस सर्वाच्च पद का प्रभारी भी किसी को नही बनाये जाने से सवाल गहराने लगा है कि जितनी गंभीरता से साथ मोदी सरकार ने सीडीएस के पद का गठन किया था उतनी गंभीरता सीडीएस के खाली हुए पद का भरने मेंं नही दिखाई दे रही है। जबकि चीन भारतीय सीमाओं पर लगातार अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। लद्दाख में चीन पीछे हटने का तैयार नही है। ऐसे हालातों में रक्षा मंत्रालय के सबसे बड़े पद खाली रहना चर्चा का विषय बन गया है।
सरकार कोई भी पद खाली नही रखती है, तत्काल किसी ना किसी को उसकी जिम्मेदारी सौंप देती है जब कि सरकार नई नियुक्ति नही करती है। देश की रक्षा से जूडे अहम पद चीफ डिफेंस स्टॉफ बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद मोदी सरकार ने अभी तक इस अहम पद की जिम्मेदारी किसी और को सौंपने की खबर नही आयी है। जानकारी के अनुसार नये सीडीएस की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गयी है, लेकिन कब तक देश को नया सीडीएस मिलेगा इस पर सस्पेंस बरकरार है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चीन जिस तरह से अतिक्रमण के साथ ही भूटान मेंं अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है उसे देखते हुए डीसीएस का पद लम्बे समय तक खाली रखने से मोदी सरकार की रक्षा सुधारों की दिशा में उठाये गये कदमों पर ही सवाल गहराता जायेगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त को 2019 को तीनों सेनाओं में तालमेल को और बेहत्तर बनाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के नये पद का ऐलान किया था।
सीडीएस की क्या भूमिका है
सीडीएस की अहम जिम्मेदारी तीनों सेनाओं को बीच तालमेल को और बेहत्तर बनाने के साथ ही सशस्त्र सेनाओं के ऑपरेशंस में आपसी समन्वय और उसके लिए वित्त प्रबंधन की होने के साथ ही तीनों सेनाओं से जुडे मुद्दे पर रक्षा मंत्री के प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर की भी जिम्मेदारी है। सीडीएस तीनों सेना के प्रमुखों की तरह ही ही चार स्टार वाले अधिकारी होंगे लेकिन प्रोटोकॉल में बड़े होगें। गौरतलब है कि कारगिल युद्ध के दौरान उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने समीक्षा में बताया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी के चलते नुकसान को काफी कम किया जा सकता था। उस वक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ पर बनाने की सुझाव दिया गया था। राजनीतिक सहमति नही होने की वजह से काम पूरा नही हो सका, मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में इसे पूरा किया।
रक्षा मंत्रालय ने बदले नियम
केंद्र सरकार की ओर से जनरल बिपिन रावत को भारत का पहला सीडीएस नियुक्त करने की मंशा जाहिर होने के बाद रक्षा मंत्रालय ने सेना नियमों, 1954 में कार्यकाल और सेवा के नियमों में संशोधन किया, रक्षा मंत्रालय ने 28 दिसंबर को अपनी अधिसूचना में कहा कि चीन ऑफ डिफेंस स्टाफ या ट्राई- सर्विसेज प्रमुख 65 साल की आयु तक सेवा दे सकेंगे।
भारत दुनिया का पहला देश नही है जहां पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की गई है। दुनिया में कई देशो में यह व्यवस्था पहले से ही है। यूके, इटली, फ्रांस सहित करीब 10 देशों में सीडीएस की व्यवस्था रही है।