October 23, 2024

कांग्रेस, भाजपा का सबसे आसान टारगेट

क्षेत्रीय दल भारी पडऩे लगे है भाजपा पर
असम हार का असर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर पड़ेगा?

भाजपा के गुजरात के बाद असम में सत्ता की वापसी सीएए के विरोध की बीच करना राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय लम्बे समय तक बना रहेगा, क्योकि सीएए के साथ ही देश में बढ़ती महंगाई जैसे अनेकों मुृद्दे कांग्रेस के पास होने के बाद भी असम की जनता में विश्वास पैदा करने में सफल क्यों नही हो सकी।
असम की कमान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेन ने संभाली थी राज्य में कोरोना के मामले बढऩे के बाद भी असम में चुनाव प्रचार में इस विश्वास के साथ डटें रहे कि असम की सत्ता में कांग्रेस के काबिज होने ने उनका राजनीति कद बढ़ेगा? मुख्यमंत्री के करीबी अनेकों कांग्रेसी नेता भी असम में लम्बे समय तक चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे, मीडिया में जो खबरे आ रही थी वह यही संकेत दे रही थी कि असम में कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती है। असम में कांग्रेस की सत्ता आ रही है इसके लिए माहौल भी बनाया गया। असम में चुनाव लडऩे वालों प्रत्याशियों को राजस्थान व छत्तीसगढ़ में सुरक्षित रखने का प्रयास किया गया, लेकिन चुनाव परिणाम में भाजपा ने शानदार सत्ता की वापसी करके कही ना कही कांग्रेस की रणनीति की पूरी हवा निकाल दी है। असम में कांग्रेस पंाच सालों से विपक्ष में होने के साथ ही सीएए का मुद्दा असम मेंं सबसे अहम होने के साथ ही मोदी सरकार के कार्याकाल में मंहगाई अपने चरम पर है बेरोजगारी की समस्या भी गहरा रही है किसान आंदेालन कर रहे है, इतने सारे अस्त्र होने के बाद भी जब कांग्रेस, भाजपा का मुकाबला करने की स्थिति में नही है, तो किस स्थिति में कांग्रेस भाजपा का मुकाबला कर पायेगी? जबकि इन अस्त्रों का उपयोग करके क्षेत्रीय दलों में भाजपा की नैय्या डूबा दी। पुडुचेरी में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा इसके अलावा कही भी भाजपा की दाल नही गली। बंगाल जीतने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से कोरोन को नजरअंदाज करके के बाद भी नही जीत पायी। जहां पर भाजपा कांग्रेस के बीच मुकाबला था वही पर भाजपा का चुनाव जीतना स्पष्ट करता है कि भाजपा को क्षेत्रीय दलों की तुलना मेंं कांग्रेस को हराना बहुत ही आसान हो गया है। राजनीतिक जानकारों की मानना है कि असम में कांग्रेस की हार का असर छत्तीसगढ़ की राजनीति पर भी पड़ सकता है क्योकि पहले ही ढ़ाई ढ़ाई साल का मुख्यमंत्री का मुद्दा उठ चुका है, असम में हार के बाद निश्चित ही इस मुद्दे को फिर से हवा मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *