October 23, 2024

धान खरीदी का आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा?

पहले सप्ताह मात्र 886 टोटन की काटे, जबकि 50 हजार पंजीकृत किसान है

किसान का धान छत्तीसगढ़ सरकार जरूर 25 सौ रूपये क्विंटल मेें खरीद रही है लेकिन किसानों को धान बेचने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वही दूसरी तरफ जिस तरह से टोकन काटे जा रहे है उससे किसानों में यह डर भी सताने लगा है कि उनका नंबर कब आयेगा। जिले मेें 50 हजार से अधिक पंजीकृत किसान है लेकिन पहले सप्ताह मात्र 886 टोटन ही काटे गये है। वही दूसरी तरफ किसानों को बारदाना की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। किसानों को प्रति क्विंटल 25 सौ रूपये के अतिरिक्त सरकार से कोई और सुविधा नही मिल पा रही है, जिससे किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान खरीदी एक अहम मुद्दा है, जिसके चलते ही छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा चुनाव के दो साल पहले ही धान का रेट 28 सौ रूपये करके भाजपा की हार सुनिश्चित करने की रणनीति बनायी, राजनीतिक पंडित में कांग्रेस के इस घोषणा को मास्टर स्ट्रोक बता रहे थे, लेकिन धान खरीदी में किसानों को जिस तरह से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उससे किसानों को कांग्रेस की 28 सौ रूपये प्रतिक्विंटल की रणनीति धरातल में कामयाब हो पायेगी यह अहम सवाल गहराता जा रहा है? बारदाना की कमी के बीच धान खरीदी शुरू हो गयी है, सरकार ने किसानों को 25 प्रतिशत बारदाना को खरीदने का दवाब बना रही है तो दूसरी तरफ टोकन के लिए के लिए किसानों को परेशान हो पड़ रहा है। जिले में पहले सप्ताह मात्र 886 टोकन ही काटे जाने से किसानों में यह डर सताने लगा है कि उनका नंबर आयेगा या नही, क्योकि जिले में 50 हजार किसान पंजीकृत है, और धान खरीदी मात्र 40 दिन ही होगी है। जब धान खरीदी की शुरूआत ही बहुत लचर तरीके से हुई है तो समय गुजरने के साथ ही इसमें तेजी आने की जगह गिरावट ही आयेगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वर्तमान हालातों में किसानों को धान बेचना माउंट एवरेस्ट में चढऩे की तरह ही कठिन है, अगर व्यवस्था नही सुधरी तो किसान जो अभी तक कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है वह पलटी मार सकता है क्योकि किसानों का धान सरकार ने नही खरीदा तो खुल्ले बाजार में धान की सरकार द्वारा तय एमएसपी भी नही मिलेगी।

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