October 23, 2024

ढ़ाई ढ़ाई फार्मूला का मुद्दा हुआ खत्म

पिछले विधानसभा चुनाव की तरह ही क्या जय वीरू की जोड़ी,आगामी विधानसभा चुनाव म में करेगी काम?

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने यह कहकर स्पष्ट कर दिया कि ढ़ाई ढ़ाई साल वाले फार्मूले की उपयोगिता खत्म हो गई है क्योकि विधानसभा चुनाव मेें एक साल का वक्त ही बचा है। जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में ही लड़ेगा, लेकिन क्या पिछले चुनाव की तरह जय और वीरू की जोड़ी कांग्रेस को जीताने के लिए काम करेगी? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब कांग्रेसी नेताओं के साथ ही साथ भाजपा नेता भी तलाश कर रहे है। जबकि स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव के बस्तर प्रवास के दौरान जिस तरह से स्थानीय नेता दूरी बना रहे है, उसके चलते अटकलों का बाजार भी गर्म है।
पिछले बस्तर प्रवास पर आये स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने ढ़ाई ढ़ाई साल के फार्मूले पर उम्मीद जाहिर की थी लेकिन 6 महीने बाद आज पत्रवार्ता में ढ़ाई ढ़ाई साले वाले फार्मूले के सवाल पर कहा कि अब यह मुद्दा खत्म हो गया है, क्योकि अब उतना समय ही नही बचा है, जो बताता है कि उनकी उम्मीद खत्म हो गई है कि कांग्रेस आलाकमान पंजाब वाला प्रयोग अब छत्तीसगढ़ में नही दोहरायेगा। जिससे निश्चित ही भाजपाईयों को सत्ता वापसी की उम्मीदों को नुक्सान पहुंचा है , लेकिन पूरी तरह से खत्म नही हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव की तरह, आगामी विधानसभा चुनाव में भी जय व वीरू के नाम से मशहूर जोड़ी भूपेश बघे और टीएस सिंहदेव क्या एकजूटता के साथ पार्टी के लिए काम करेगें? क्योकि बस्तर प्रवास के दौरान कांग्रेस संगठन के साथ ही कांग्रेस के जनप्रतिनिधि का नदारत रहना चर्चा का विषय बना हुआ है। जो बताता है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को किनारे करने का खेल जारी है, जिसके विधानसभा चुनाव के करीब आने पर और भी तेज हो सकता है। इतिहास गवाह है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सत्ता में कांग्रेसी नेता स्व. विद्याचरण शुक्ल के अलग पार्टी बनाने के चलते सत्ता में आई थी, 15 साल बाद सत्ता मिलने के बाद एक बार फिर कांग्रेस मुख्यमंत्री की लड़ाई में दो भागों में बटती दिखाई दे रही है। राजनीतिक जानकारो का मानना है कि भाजपा कांग्रेस की इस अंदरूनी लड़ाई का फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में उठाने में कोई कोरकसर नही छोड़ेगी, क्योकि भाजपा को मजबूती प्रदान करने मेें कांगे्रेसी नेताओं की अहम भूमिका अभी तक रही है।

 

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