भाजपा काम करती तो चुनाव जीतने के लिए रेवड़ी कल्चर का सहारा नही लेना ?
देश में रामराज्य लाने का सपना दिखाने वाली भाजपा की गुजरात में विगत 27 सालों से सरकार होने के बाद भी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए उज्जवला योजना के लाभर्थियो को साल में दो सिलेंडर निशुक्ल दिये जाने के साथ ही देश भर में अमूल द्वारा दूध के दाम बढ़ाये जाने के बाद भी गुजरात मेंं चुनाव के मद्देनजर दाम नही बढ़ाने ये सवाल तो उठता है कि जिस राज्य में ताकतवर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधा हस्ताक्षेप हो वहां पर चुनाव जीतने के लिए रेवड़ी कल्चर का सहारा लेने की क्यों जरूरत पड़ गई है? क्या धरातल में गुजरात मॉडल की हवा दिल्ली मॉडल ने निकाल दी है?
गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सीधा हस्ताक्षेप होने के कारण गुजरात सरकार के द्वारा उज्जवला योजना के लाभथ्रियों को साल में दो सिलेंडर मुफ्त के साथ ही सीएनजी व पीएनजी पर 10 प्रतिशत वैट की कमी के अलावा अमूल द्वारा दूध के दाम में गुजरात में विधानसभा चुनाव के देखते हुए बढ़ोत्तरी नही करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्ण सहमति होगी? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बगैर कुछ नही हो सकता है इसलिए विधानसभा चुनाव के पूर्व शुरू की गई रेवड़ी कल्चर की शुरूआत कैसे गुजरात सरकार कर सकती है। गुजरात में रेवड़ी कल्चर की शुरूआत से जहां गुजरात मॉडल पर सवाल उठने लगे है वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताकतवर इमेज की प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है, क्योकि जिस राज्य में 27 वर्षो से भाजपा की सरकार हो वहां पर चुनाव जीतने के लिए रेवड़ी कल्चर का सहारा लेना बताता है कि गुजरात मॉडल की हवा आम आदमी पार्टी के दिल्ली मॉडल ने निकाल दी है। जिसकी वजह से लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए रेवड़ी कल्चर का सहारा ले रहे है जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विरोध किया था।