चपका स्टील प्लांट मामले पर भाजपा सर्व आदिवासी समाज के साथ, लेकिन फर्जी मुठभेड़ पर नही
आदिवासियों का दिल जीतने के लिए जरूरी है कि भाजपा नेता पीडि़त आदिवासियों के साथ खड़ी तो नजर आये
सर्व आदिवासी समाज द्वारा चपका मिनी स्टील प्लांट के विरोध में आयोजित रैली में भाजपा नेताओं ने हिस्सेदारी आम जनता के बीच चर्चा का विषय इसलिए बनती जा रही है कि चपका में आयोजित रैली में भाजपा नेताओं ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर जम कर सवाल खड़े किया, लेकिन दूसरी तरफ दक्षिण बस्तर में फर्जी मुठभेड़ को लेकर सर्व आदिवासी समाज व ग्रामीणों के द्वारा किये जाने वाले आंदोलन में भाजपा नेता पूरी तरह से गायब है। सिलगेर विवाद के बाद चिंतागुफा थाना क्षेत्र मेें हुए मुठभेड़ का मामला सुर्खियों में है लेकिन इस मामले पर भी भाजपा नेताओं ने सिलगेर मामले की तरह ही चुप्पी साधे हुए है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा नेताओं को चपका मिनी स्टील प्लांट में ही आदिवासियों का शोषण करते हुए सरकार दिखाई दे रही है, दक्षिण बस्तर में फर्जी मुठभेड़ो में आदिवासियों के शोषण उनकों नजर नही आ रहा है। भाजपा की आदिवासियों के शोषण की यह दोहरी राजनीति बस्तर में भाजपा की मुश्किलों बढ़ाने वाली है, क्योकि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेसी नेताओं ने हर फर्जी मुठभेड़ पर राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया और उन्हें इसका फायदा भी मिला जिसके चलते आज भाजपा का बस्तर से सफाया हो गया है। भाजपा सिर्फ चपका के मिनी स्टील प्लांट में सर्व आदिवासी समाज के साथ खड़ी होकर क्या आदिवासियों का दिल जीत पायेगी? क्योकि आदिवासियों में विश्वास पैदा करने के लिए भाजप ाको कुछ ठोस कदम उठाने होगें।