October 23, 2024

गलती निकालना बहुत आसान है, मैच खेलने की तुलना में

कैच छोडऩे व बल्लेबाजों की कुटाई के चलते खिलाड़ी भारतीय टीम का हिस्सा नही बने

भाजपाई जिस तरह से अपनी उपलब्धि बताने की जगह, गलतियों को छूपाने के लिए गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए है, कुछ उसी तरह से पाकिस्तान की हाथ मिली हार के लिए भारतीय दर्शक भी भुनेश्वर कुमार के आखिर ओवर में दिये गये 19 रन देने या फिर 18 वें ओवर में अर्शदीप द्वारा आसिफ अली का आसान कैच छोडऩे को जिम्मेदार बता है। लेकिन सवाल यह है कि राजनीति में सोच विचार करके फैसला लेने के बाद भी गलती हो जाती है तो मैदान में खेल रहे खिलाडी जिसके ऊपर अतिरिक्त दवाब भी रहता है, उससे चूक या गलती क्यों नही हो सकती है। पाकिस्तान के बल्लेबांज फखर जमां द्वारा भी अन्तिम ओवर में की गई गलती से भारत को अतिरिक्त 6 रन मिले, अगर पाकिस्तान हारता तो निश्चित ही पाकिस्तानी उसे हार का जिम्मेदार बताते। दोनों देशों के दर्शकों को खेल को खेल की नजर से ही देखना चाहिए, जिस तरह से लोकतंत्र में हार जीत होने के बाद भी सत्ता पक्ष और विपक्ष मिल कर देश हित में काम करते है। लेकिन कुछ समय से विपक्ष को देशविरोध बताने की परंपरा का विकास होने के साथ ही खेलों में हार के जिम्मेदार खिलाड़ी को भी उसी नजर से लोग देखने लगे है। जो ना ही लोकतंत्र के लिए अच्छा माना जा सकता है और ना ही खेल के लिए।

क्रिकेट में मेहनत ही नही किस्मत भी काम करती है

मैच के 18 वें ओवर में अर्शदीप के द्वारा आसिफ अली का आसान कैच छोड़ दिये जाने के बाद भुनेश्वर कुमार के 19वें ओवर में 19 रनों की कुटाई करके पाकिस्तान ने मैच में अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ ही एक गेंद रहते मैच जीत भी लिया। इसके बाद से भारतीय दर्शक अर्शदीप और भुनेश्चवर कुमार को इस हार का जिम्मेदार बताते हुए जरूर निशाना साध रहे है। सवाल यह है कि भारतीय टीम के हार के लिए क्या यह दो खिलाड़ी ही जिम्मेदार है या पूरी भारतीय टीम? क्योकि भारतीय टीम ने जिस शानदार तरीके से बल्लेबांजी की शुरूआत की थी, उस लय को बाद के बल्लबांजों ने नही बनाये रखी, जिसकी वजह से स्कोर दो सौ के पार नही हो सका, हुड्डा और हर्दिक पाड्या ना बल्लेबंाजी में ही चले और ना ही गेंदबाजी में। पाकिस्तान गेंदबाजों की तरह ही भारतीय गेंदबाज भी दबाव के चलते भुनेश्वर कुमार और रवि बिश्वनोई ने 6 वाईट गेंद भी फेंककर भी पाकिस्तान की जीत में अपना योगदान दिया। दोनों देश के दर्शकों को राजनीतिक दलों के नेताओं की तरह क्रिकेट मैच को देखना बंद करना होगा क्योकि राजनीतिक दल अपने विपक्षी दलों को राष्ट्रविरोध बता कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते रहते है, जबकि आरोपों को कभी भी प्रमाणित नही कर पाते है। अगर कैंच छूटने या गेंदबाजों की कुटाई होने को हार का जिम्मेदार माना जाने लगेगा तो दुनिया में कोई ऐसा खिलाड़ी खोज पाना मुश्किल है, जिसने यह दोनों काम नही किया हो।

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