बिहार चुनाव के बाद फिर सक्रिय हुआ खेमा, सार्वजनिक रूप से कांग्रेस की नीतियों पर उठा रहा है सवाल
कांग्रेस का बाग़ी खेमा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठा कर कांगे्रस को मजबूत कर रहा है या भाजपा को चुनाव जीताने में मदद कर रहा है यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि कांगे्रेस पार्टी में रह कर सत्ता का सूख भोगने वाले नेता इन दिनों जी 23 कांग्रेसी नेता कांग्रेस के खिलाफ खुल कर सामने आ गये है, वही दूसरी तरफ कांग्रेस संगठन मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करके विधानसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को बेहत्त्र बनाने की कोशिश में लगा है।
नेता का अतीत जानने से आम जनता की समस्याओं का निराकरण नही हो जाता है आजाद जी
कांग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल चुनाव में आईएसएफ यानी इंडियन सेक्युलर फ्रंट से किये गये गठबंधन पर सवाल उठाया है कि यह कांग्रेस के विचारधारा के खिलाफ है। उनके इस बयान से कांग्रेस को कितनी मजबूती मिलेगी यह तो वही जानते है लेकिन उनके कथन ने जरूर भाजपा को बंगाल में कांग्रेस केा घेरने का अस्त्र दे दिया है, वही दूसरी तरफ उनके इस बयान से कांग्रेस के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष रंजन चौधरी के साथ जरूर ठन गयी, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दूसरे दलों के साथ अब कांगे्रेसियों से भी लडऩा पड़ रहा है । गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी असंतुष्ट कांग्रेसियों ने चिट्ठी लिख कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ायी थी और एक बार फिर यह गुट कांग्रेस को मजबूती के नाम पर पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के समय सक्रिय होकर कांग्रेस की जड़े खोदता दिखाई दे रहा है जिसका फायदा भाजपाई उठाने से नही चुकेगें। सवाल यह है कि कांग्रेस को असंतुष्ट नेताओं को कांग्रेस पसंद नही आ रहा है तो छोड़ कर अपनी नयी पार्टी बना ले या भाजपा या किसी अन्य दल का हिस्सा बन जाये जहां उनके विचारों को महत्व मिले, लेकिन पार्टी में रहकर पार्टी को खिलाफ वह भी चुनाव के वक्त खूल कर सामने आना यही संकेत दे रहा है कि कही असंतुष्ट कांग्रेसी भाजपा के इशारे पर तो काम नही कर रहे है, क्योकि बिहार चुनाव के बाद सिर्फ से विधानसभा चुनाव के वक्त फिर से सक्रिय होना आशंकाओं को जन्म तो देती है। गुलाम नबी आजाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वह अपना अतीत नही छिपाते है, लेकिन श्री आजाद भूल गये कि अतीत में उनकी शादी भी आती है जिसे वह छूपाने का प्रयास किया, प्रधानमंत्री मुस्लिम महिलाओं की तीन तलाक के लिए जरूर चिंतित दिखे लेकिन हिन्दूओं में बगैर तलाक के ही पत्नी को छोड़ देने के मामले पर मोदी सरकार ने अभी तक कोई भी कानून नही बनाया है।