April 17, 2025

ईसाईयों का भी भरोसा कम हुआ कांग्रेस की कार्यशैली से

नर्म हिन्दू की राजनीति के चलते क्या कांग्रेस सरकार ने सक्त कार्यवाही करने से परहेज किया ?

धर्मांतरण को लेकर नारायणपुर जिले में हुआ विवाद कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनाव में कितना नुक्सान पहुुंचायेगा? यह ऐसा सवाल है जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय इसलिए बन गया है कि नर्म हिन्दू की राजनीति करने के चक्कर में कांग्रेस ईसाईयों को भी नाराज कर दी है। समय रहते अगर सरकार इस मामले पर कार्यवाही की होती तो विवाद जिला मुख्यालय चर्च तोडऩे तक नही बढ़ता, सरकार ने इस विवाद पर कार्यवाही तब की जब नारायणपुर का चर्चा तोडऩे के साथ ही पुलिस के साथ ही झड़प हुई। वही दूसरी तरफ नारायणपुर बंद के दौरान भी सरकार को इस बात का भनक तक नही लग सकी कि नारायणपुर चर्च तोडऩे की योजना प्रदर्शनकारियों की है।

नारायणपुर घटना से दिल्ली दरबार में मुख्यमंत्री के नबंर कम हुए होगें

भाजपा धर्मांतरण को आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक मुद्दा बनाने का प्रयास लम्बे समय से कर रही थी, लेकिन चुनावी वर्ष में इसे मुद्दा बनाने में कामयाब हो गई। नारायणपुर में क्रिसमस के पूर्व से ही धर्मातरण को लेकर विवाद हो रहे थे, जिसके चलते धर्मंतरित आदिवासियों को गांव छोडऩे के लिए मजबूर होने के साथ ही दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति बनी हुई थी। सरकार दोषियों पर सक्त कार्यवाही करके इस मामले को शांत करने का प्रयास नही किया, जिसके चलते इसकी आग नारायणपुर जिला मुख्यालय तक पहुंची और नारायणपुर बंद के दौरान जिला मुख्यालय के चर्चा में तोडफ़ोड़ की, और पुलिस के साथ ही झड़प की जिसमें एसपी भी घायल हो गये, जिसके बाद पुलिस प्रशासन ने सक्ति बरतते हुए भाजपा के जिला अध्यक्ष सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस की इस कार्यवाही के बाद जरूर क्षेत्र में तनावपूर्ण शांति कायम है, लेकिन राजनीतिक पारा गर्मा गया है। विपक्ष के साथ ही आम जनता भी यह सवाल पूछ रही है कि सरकार ने समय रहते सक्त कार्यवाही करने से क्यों परहेज किया, क्योकि विवाद के खबरेें पहले से ही आ रही थी। चुनावी वर्ष में नारायणपुर की इस घटना ने ईसाई समुदाय के बीच भी कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे है कि वह कार्यवाही में विलम्ब क्यों किया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस पूरी घटना से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दिल्ली आलाकमान में नंबर कम ही हुए होगें, क्योकि नारायणपुर की घटना से सिर्फ राज्य ही नही देश के ईसाई समुदाय में यह संदेश गया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार भी हिन्दूओं को संतुष्ट करने के लिए नर्म हिन्दुत्व की राजनीति कर रही है, जिसके चलते वह नारायणपुर की घटना को गंभीरता से नही लिया, जिसके चलते जिला मुख्यालय का चर्चा तोडऩे में लोग कामयाब हो गये।

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