October 23, 2024

कृत्रिम घास का मैदान, दूसरा स्वीमिंग पूल ना बन जाये

खिलाडिय़ों के नाम पर बनाये गयी योजनाओं का लाभ नेता, अधिकारी व ठेकेदार को मिल रहा है

इंदिरा स्टेडियम में लाखों की लागत से सिंथेटिक ग्रास का मैदान बनाया जा रहा है, इस मैदान का हाल भी बिलासपुर के बहतराई हॉकी स्टेडियम की तरह ना हो जाये, क्योकि यहां भी हॉकी के विकास के नाम पर लाखों रूपये की कृत्रिम घास बड़े बड़े वादों के साथ बिछायी गयी थी लेकिन रखरखाव के आभाव में यह स्टेडियम बर्बाद हो गया है, मैदान की हालात इतनी खराब हो गयी है कि हॉकी खेलने लायक नही है। गौरतलब है कि इंदिरा स्टेडियम का बैडमिंटन ग्राउण्ड रखरखाव के आभाव से जूझ रहा है, ऐसे में कृत्रिम घास के मैदान का रखरखाव जिला प्रशासन कैसे रख पायेगी?
बस्तर के खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा देने के नाम पर इंदिरा स्टेडियम में लाखों की लागत से सिंथेटिक ग्रास का मैदान बनाया जा रहा है, सवाल यह है कि कृत्रिम घास के इस मैदान का रखरखाव जिला प्रशासन या निगम प्रशासन कर पायेगी? यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब अभी नही मिला तो इस मैदान की हालात में बिलासपुर के बहतराई हॉकी स्टेडियम के मैदान की तरह हो जायेगी, जहां पर कभी हॉकी विकास के नाम पर लाखों रूपये खर्च करके कृत्रिम घास का मैदान इस वादे के साथ बनाया गया था कि यहां से अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलेगें। लेकिन रखरखाव के आभाव में यह मैदान खेलने लायक भी नही है वर्तमान में। कृत्रिम घास की नमी को बनाये रखने के लिए लगाये गये स्वचलित पॅाप अप स्प्रिंकलर की हालतखराब होने के साथ ही सप्म वेल की मोटर और टाइमर पूरी तरह खराब हो चुके है। खेल जानकारों का कहना कि जब बिलासपुर के हॉकी मैदान की सिंथेटिक टर्फ का रखरखाव नही किया जा सका तो इंदिरा स्टेडियम के सिंथेटिक टर्फ का रखरखाव कैसे हो पायेगा? इस यक्ष प्रश्र का जवाब हर कोई जानना चाहता है क्योकि खेलों के विकास के नाम पर करोड़ो की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वीमिंग पूल कर निर्माण किया गया था लेकिन रखरखाव के आभाव में स्वीमिंग पूल भी कबाड़ में तब्दिल हो चुका है। जानकारों की मांने तो भविष्य में इंदिरा स्टेडियम की कृत्रिम घास के मैदान की योजना भी स्वीमिंग पूल की तरह कबाड़ हो जायेगी। बस्तर के खिलाडिय़ों के नाम पर बनाये गयी यह योजना से खिलाडि़य़ों का तो भला नही होता है लेकिन नेता, ठेकेदार व अधिकारियों का जरूर भला हो जाता है। शायद योजनाएं भी अधिकारियों व नेताओंं का ध्यान में रखकर बनायी जाती है।

110 मीटर की बाधा दौड़ की ट्रैक सीधी ना होकर धुमावदार है

इंदिरा स्टेडियम का निर्माण अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानको के हिसाब से बनाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन यह धरातल से बहुत दूर है, क्योकि इस स्टेडियम में दौड़ के लिए बनायी जा रही ट्रेक 100 मीटर व 110 मीटर बाधा दौड़ के लिए सीधी ना होकर धुमावदार है, जो अंतरराष्ट्रीय नियम के विरूद्ध है।

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