सरकार ने किसानों को बारदानें को 25 प्रतिशत बारदानें का इंतजाम करने के बाद इस कारोबार को मिली जमीन
राज्य सरकार ने बगैर बारदाना के इंतजाम किये धान खरीदी शुरू कर दी है, किसानोंं के कंधो पर 25 प्रतिशत बारदाना की खरीदी की जिम्मेदारी सौंप कर बारदाने के कारोबार करने वाले व्यापारियों की बल्ले बल्ले करा दी है, सरकार के इस फैसले से ही आम दिनों में 10 रूपये का बारदाना की कीमत 30 रूपये तक पहुंच गयी है।
बस्तर में किसान धान बेचने के लिए बारदाना तीस रूपये या उससे ज्यादा कीमत पर खरीदे को मजबूर है, जबकि सरकार 18 रूयये बारदाना की कीमत रखी है, प्रति बोर किसानों को 12 रूपये का नुक्सान उठाने के बाद भी बारदाना की कमी बनी हुई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सरकार द्वारा किसानों के कंधों पर बारदाना खरीदी की जिम्मेदारी देकर कही ना कही बारदाना की कालाबाजारी के नये कारोबार को सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है, क्योकि सरकार बारदाने की व्यवस्था नही कर पा रही है और ना ही खुल्ले बाजार में बारदाना का कोई मुल्य ही तय कर सकती है, इसलिए बारदानें के कालाबाजारी का नया कारोबार छत्तीसगढ़ मेंं अपनी जगह बनाने लगा है। विगत वर्ष भी सरकार बारदानें की व्यवस्था नही कर पायी थी और इस वर्ष भी नही कर पायी है। धान को लेकर छत्तीसगढ़ में लम्बे समय से राजनीति तो हो रही है, कांग्रेस सरकार ने आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट पाने के लिए धान का मुल्य 28 सौ रूयपे करने की घोषणा कर दी है लेकिन किसानों के बारदाने की व्यवस्था नही कर पाने से धान खरीदी बगैर किसी बाधा के चलेगी इस धान खरीदी की शुरूआत से ही सवाल उठने लगे है। सरकार को धान खरीदी के लिए 5.25 लाख बारदानों की जरूरत है, केंद्र सरकार ने राज्य को 2लाख 14 हजार गठान सप्लाई का भरोसा दिलाया था लेकिन अभी तक सिर्फ 86हजार जूट बारदाने ही भेजे गए है। सरकार ने पीडीएस और मिलरों से एक लाख गठन बारदाने की व्यवस्था करने के साथ ही बाजार से 1.13 लाख गठान की व्यवस्था की है।
धान खरीदी प्रभावित करने की कोशिश – रविंद्र चौबे
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने राज्य में बारदाना की कमी को केंद्र सरकार की साजिश करार देते हुए कहा कि हम सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर रहे है कि केंद्र सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को प्रभावित करने की साजिश की जा रही है। जिसके चलते पुराने बारदाने में भी धान खरीदने का निर्णय लिया गया है।