April 30, 2025

मोदी सरकार में काले धन की लड़ाई कमजोर हुई ?

पनामा पेपर्स में नाम आने के बाद भी मोदी सरकार के आंखों के तारे बने रहे हरीश साल्वे
पैंडोरा पेपर्स में आया नाम, क्या मोदी सरकार कोई कार्यवाही करेंगी?

मोदी सरकार को क्या दागी पंसद है? यह सवाल इसलिए गहराने लगा है क्योकि मोदी सरकार की पैरवी करने वाले देशभक्त वकील हरीश साल्वे का नाम पनामा पेपर्स के बाद पैंडोरा पेपर्स में भी आया है। जिस पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार के आंखों के तारे वकील हरीश साल्वे ने लंदन अपार्टमेंट खरीदने के लिए बीवीआई फर्म का अधिग्रहण किया है, उन्हें याद नहीं है कि क्या आयकर विभाग को इसका खुलासा किया गया था। इसके पहले पनामा पेपर्स में भी हरीश साल्वे के तीन वर्जिन आइलैंड्स फर्मो का अधिग्रहण किया, क्या मोदी सरकार आयकर, ईडी या एसआईटी द्वारा कोई जांच करायी है?

पमाना पेपर्स की जांच कहा तक पहुंची देश जानना चाहता है

कालाधन को लेकर विपक्ष में रहते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सरकार को बहुत बदनाम किया था और देश की जनता को यह बताने का प्रयास किया था कि सत्ता बदलने के बाद कालेधन पर पूरी तरह से लगाम लग जायेगी लेकिन सत्ता बदलने के बाद भी कालाधन का खेल जारी रहना इस बात का संकेत दे रहा है कि मोदी सरकार ने कालाधन के मुद्दे से सत्ता तक तो पहुंच को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करके उसे भूला दिया है, क्योकि कालेधन पर इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह से असफल साबित हुए है। पमाना पेपर्स के खूलासे के बाद दुनिया में राजनीति गरमाई लेकिन मोदी सरकार ने सिर्फ जांच की बात कर करके मामले को रफा दफा कर दिया, पमाना पेपर्स द्वारा लगाये गये आरोप मोदी सरकार की जांच में कितने सही थी इसका पता अभी तक देश की जनता को नही लग पाया है। वही पैंडोरा पेपर्स ने काला धन को लेकर नया मामला उजागर करके मोदी सरकार की कालेधन की लड़ाई की हवा निकाल दी है। क्योकि मोदी सरकार के आंखों के तारे वकील हरीश साल्वे का नाम भी शामिल है। गौरतलब है कि उनका नाम पनाना पेपर्स में भी शामिल था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दुनिया में बहुत कम लोग है जिनका नाम पनामा पेपर्स के बाद पैंडोरा पेपर्स में भी शामिल हो इसके बाद भी मोदी सरकार हरीश साल्वे पर कोई कार्यवाही करेगी इसकी उम्मीद कम है। मोदी सरकार ने पनामा पेपर्स की तरह ही पैंडोरा पेपर्स मामले की जांच करने की बात कही है लेकिन सवाल यह है कि ईमानदार सरकार होते हुए पनामा पेपर्स की जांच कहा तक पहुंची है यह तो देश की जनता जानना चाहती है।

क्या मोदी सरकार ने हरीश साल्वे पर लगाये गये आरोपों की जांच की?

हरीश साल्वे ने लंदन में एक अपार्टमेंट खरीदने के लिए 2015 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में मार्सुल कंपनी लिमिटेड अधिगहीत की थी। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार साल्वे को 15 सितंबर 2015 को मार्सुल में 50,000 शेयर आवंटित किए गए थे। साल्वे को कंपनी के लाभकारी मालिक के रूप में नामित किया गया है। जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि कंपनी स्वामित्व उनके पास है। साल्वे साहब निदेशक होने के साथ साथ मार्सुलस के सचिव भी हैं। ऑफशोर कंपनी द्वारा अपने सभी ग्राहकों के जोखिम प्रोफाइल को सूचीबद्ध करते हुए उन्हें एक उच्च जोखिम वाले पीईपी(राजनीतिक रूप से संवेदनशील व्यक्ति) के रूप में चिन्हित किया गया था।
इस मामले पर साल्वे का कहना है कि मैेंने मार्सुल का अधिग्रहण किया क्योंकि यह वह कंपनी था जिसके पास पार्क टॉवर में लंदन में एक फ्लैट था। मैंन एक एनआरआई था इसलिए किसी अनुमति की आवश्यकता नही थी। उन्होंने बताया कि आयकर में इसका खुलासा किया है। पनामा पेपर्स में भी साल्वे का नाम आया था जिसमें पता चला कि साल्वे और उनके परिवार के सदस्यों ने लंदन स्थित एजेंट रावी एंड कंपनी के माध्यम से नईदिल्ली में वसंत विहार के साथ भारत के पते के रूप में बीवीआई में तीन ऑफशोर कंपनियों को पंजीकृत किया था। जिस पर साल्वे का कहना है कि सभी कंपनियां निष्क्रिय थी। गौरतलब है कि पैंडोरा पेपर्स में अनिल अंबानी, विनोद अड़ानी, सचिन तेंदुलकर, जैकी श्रॉफ जैसे नाम भी शामिल है, पैंडोरा पेपर्स ने यह बताने का प्रयास किया कि कैसे दुनिया के कई अमीर और शाक्तिशाली लोग अपनी संपत्ति छिपा रहे है।

पैंडोरा पेपर्स मामले पर कांगे्रसी मौन

राफेल मामले पर कांग्रेस ने अनिल अंबानी पर जम कर निशाना साधा था लेकिन पेैंडोरा पेपर्स में भी अनिल अंबानी का नाम आने के बाद भी इस मामले पर कांग्रेसी नेताओं की चुप्पी सवालों के घेरे में है, राफेल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि अपने दोस्तों का फायदा पहुंचा रहे है लेकिन जब मोदी के दोस्त का नाम पैंडोरा पेपर्स में आया तो चुप्पी साध ली। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पैंडोरा पेपर्स में अनिल अंबानी के अलावा भी कई और नाम शामिल है इसलिए कांग्रेस चाह कर भी अनिल अंबानी के खिलाफ मोर्चा नही खोल पा रही है।

राष्ट्रहित में बाबा रामदेव ने भी कालाधन पर मौन साधा

मनमोहन सरकार में कालाधन को लेकर लड़ाई लडऩे वाले बाबा रामदेव भी हरीश साल्वे का नाम पनामा पेपर्स के बाद पैंडोरा पेपर्स में आने पर भी मौन साधे हुए है, सवाल यह है कि दुनिया के 117 देशों के 600 से अधिक पत्रकारों ने करीब 12 मिलियन दस्तावेजों की जांच के बाद वित्तीय अनियमितता से संबंधित जानकारी का खूलासा किया है, ऐसे में बाबा रामदेव की भी जिम्मेदारी बनती है कि इसके आधार पर मोदी सरकार से जांच कराने के साथ ही दांगी लोगों को सत्ता से दूर करने की आवाज बुलंद करें। लेकिन सत्ता बदलने के बाद शायद बाबा रामदेव का कालाधन का मुद्दा भी खत्म हो गया इसलिए वह भी राष्ट्रहित में मौन साधे हुए है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *