October 23, 2024

भाजपा सिलगेर के दोषियों की सजा की मांग पर क्यो है मौन?

केंद्रीय मंत्री ने सिलगेर के पीडि़त परिवारों को लखीमपुर की तर्ज पर ही राज्य सरकार से 50 लाख रूपये देने की मांग की

लखीमपुर खीरी की घटना के बाद भाजपाईयों को अचानक सिलगेर में आदिवासियों की मौत की याद सताने लगी है। केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने राज्य सरकार से लखीमपुर की तर्ज पर ही पीडि़त परिवारों को 50 लाख का मुआवजा देने की मांग की है, लेकिन दोषी लोगों पर कार्यवाही की मांग नही की है। जबकि लखीमपुर में पीडि़त पक्षों को मुआवजा के बाद भी दोषियों की सजा दिलाने की आवाज बुलंद हो रही है। छत्तीसगढ़ में भाजपा सिलगेर के दोषियों के सजा दिलाने के मामले पर क्यो मौन साधे हुए है?
लखीमपुर की घटना नही होती तो शायद भाजपा नेताओं को दक्षिण बस्तर के सिलगेर में खोले जाने वाले पुलिस कैंप के विरोध के दौरान मारे गये तीन ग्रामीणों की याद भी नही आती, क्योकि भाजपा इस पूरे मामले पर सिर्फ खानापूर्ति करती ही नजर आयी है। भाजपा संगठन ने सिलगेर की जांच के लिए बनाये दल की रिपोर्ट भी अभी तक सार्वजनिक करने से बच रही है, जबकि केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने राज्य सरकार से सिलगेर पीडि़तों को भी 50 लाख का मुआवजा दिये जाने की बात कही है, तो क्या भाजपा सिलगेर में मारे गये लोगों को नक्सली नही ग्रामीण मान रही है, जो सरकार से मुआवाज देने की मांग कर रही है। अगर ऐसा है तो फिर निर्दोष लोगों को मारे जाने के दोषियों को भी सजा दिलाने की आवाज भी बुलंद करनी चाहिए क्योकि ग्रामीण अपने स्तर पर दोषियों पर कार्यवाही की मांग करने केे लिए भी आंदोलन कर रहे है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि लखीमपुर घटना के बाद योगी सरकार पूरी तरह से बैकफुट में आ गयी है इसलिए राज्य सरकार को घेरने के लिए आधे अधूरे मन से भाजपाईयों ने एक बार फिर सिलगेर पीडि़तों को मुआवजा व कांग्रेसी नेताओं को पीडि़तों से मिलने का मुद्दा उठाया है। अभी तक दोषियों को सजा दिलाने की आवाज नही बुलंद कर पायी है। भाजपा की आधे मन से लड़ी गयी सिलगेर की लड़ाई के चलते ही सिलगेर लखीमपुर की तरह राजनीतिक मुद्दा नही बन सका। वही भी उस हालत में जब बस्तर से भाजपा का पूरी तरह से सफाया हो गया है। बस्तर में अपने खोये जनाधार को वापस पाने के लिए चिंतन शिविर भी बस्तर में आयोजित किया लेकिन सिलगेर को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश नही की, क्योकि भाजपा  का कोई भी बड़ा नेता लखीमपुर की तरह पीडि़तों से मिलने दक्षिण बस्तर नही गया ।

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