October 23, 2024

किसानों की तरह भाजपा ने भी लम्बी लड़ाई की रणनीति बनायी

मोदी सरकार किसान आंदोलन पर गंभीर नही तो छत्तीसगढ़ सरकार भाजपा आंदोलन को क्यों गंभीरता से लेगी?

भाजपा के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में संगठन ने जनहित के मुद्दे पर छोटी नही बड़ी लड़ाई उस वक्त तक लडऩे की बात कही है जब तक समस्या का निराकरण ना हो जाये। भाजपा अभी तक कुछ घंटो का धरना प्रदर्शन करके विपक्ष की भूमिका निभाने की खानापूर्ति करती रही है, जिससे शायद सत्ता तक पहुंचने की उम्मीद नेताओं को नजर नही आ रही है इसलिए किसानों के खाद बीज व पानी की कमी को लेकर लम्बी लड़ाई उस वक्त तक लडऩे की बात कही गयी है जिस तरह किसान कृषि बिल को लेकर आंदोलन कर रहे है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विपक्ष के नेता सत्ता में काबिज होने के लिए इस तरह के वादें करके आम जनता का दिल जीतने का प्रयास करते है, लेकिन जमीन में उसे उतार पाने में सफल नही हो पाते है। मोदी सरकार के द्वारा लाये गये नये कृषि बिल के खिलाफ किसान विगत नौ महीने से आंदोलन कर रहे है, इसके बाद भी मोदी सरकार उनसे बातचीत करने को तैयार नही है, बल्कि उन्हें मवाली, आतंकवादी, तक बताया जा रहा है। ऐसे मेें सवाल उठता है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं की लम्बी लड़ाई को सरकार कैसे गंभीरता से लेगी, क्योकि जब मोदी सरकार किसानो के आदोंलन को कटघरे में खड़ा करने के लिए इस आंदोलन के पीछे विपक्ष का हाथ होने का आरोप लगाने से नही चुक रही है, ऐसे हालातों में छत्तीसगढ़ में अगर सीधे भाजपा जनहित के मुद्दे पर लम्बी लड़ाई लड़ेगी तो स्पष्ट हो जायेगा कि वह राज्य सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है, क्योकि मोदी सरकार ने देश को यह संदेश दे दिया है कि सत्तारूढ़ दल को बदनाम करने के लिए ही विपक्षी दलों के द्वारा आंदोलन को समर्थन या फिर स्वयं आंदोलन करते है।

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