मोदी सरकार की हार विपक्ष से ज्यादा, किसान आंदोलन की मजबूती के लिए जरूरी है
बंगाल चुनाव की राजनीति गर्माने के साथ ही किसान आंदोलन के नेता भी बंगाल राजनीति को लेकर सक्रिय नजर आ रहे है। किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि विधानसभा चुनाव के बीच किसानों का प्रतिनिधिमंडल भी कोलकाता जायेगा, जहां किसानों से साथ बातचीत करने के अलावा सरकार से भी बातचीत करेगा। ज्ञात हो कि किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे हो जाने के बाद भी मोदी सरकार किसान आंदोलन से ज्यादा बंगाल चुनाव के लेकर गंभीरता दिखा रही है। किसानों का प्रतिनिधिमंडल बंगाल किसानों को नये कृषि बिल के नुक्सान के बारे में बताने के साथ ही उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह बंगाल में भाजपा के हराने के लिए भी कृषि बिल की तरह ही आंदोलन चलायें, क्योकि किसान आंदोलन के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है अगर इसमें सफलता मिल जाती है तो साफ हो जायेगा कि कृषि बिल का विरोध कुछ ही किसान कर रहे है पूरे देश के किसान कृषि बिल के साथ खड़े है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मोदी सरकार पर दवाब बनाने के लिए भाजपा को बूरी तरह पराजित कराना विपक्ष से ज्यादा किसान आंदोलन से जूडे लोगों के लिए है, क्योकि किसान आंदोलन में दो सौ से ज्यादा लोगों की मौत के बाद भी किसानों के मांगों के प्रति गंभीर नही है। ऐसे में किसानों को भाजपा को हराकर देश व दुनिया को यह भी संदेश दे सकते है कि कृषि बिल का विरोध सिर्फ कुछ राज्यों के किसान ही नही कर रहे है पूरे देश के किसान इस बिल के विरोध में है। किसान नेता ेराकेश टिकैत ने खत्म हो चुके किसान आंदोलन को जिंदा किया अब उनकी जिम्मेदारी है कि वह बंगाल सहित अन्य राज्यों के किसानों के साथ मिल कर भाजपा को पराजित करके कृषि बिल के खिलाफ जो लड़ाई को एक नया मोड़ देकर आंदोलन को मजबूती प्रदान करे। भाजपा बंगाल सहित अन्य राज्यों के अच्छा प्रदर्शन करती है कि सबसे ज्यादा नुक्सान किसान आंदोलन का ही होगा, क्योकि भीषण ठंड में 100 दिन गुजर जाने के बाद भी मोदी सरकार कृषि बिल को सही बता रही है, और अगर विधानसभा चुनाव जीत जाती है तो कृषि बिल कैसे गलत है यह किसान आंदोलन के नेताओं को बताने में पसीना छूट जायेगा, क्योकि देश के अन्य राज्यों के किसान तो मोदी सरकार को वोट देकर कृषि बिल का समर्थन कर रहे है।