April 17, 2025

बस्तर के कितने कांग्रेसी विधायकों की कटेगा टिकट?

नारायणपुर घटना के बाद चंदन कश्यप की स्थिति कमजोर हुई,

चुनावी वर्ष में क्या कांग्रेस के कमजोर विधायकों का प्रदर्शन बेहत्तर हो पायेगा? यह सवाल इसलिए राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है क्योकि जब चार वर्षो में विधायकों ने अपना प्रदर्शन बेहत्तर नही कर सके तो चुनावी वर्ष में कैसे अपनी स्थिति बेहत्तर कर पायेगें? क्योकि चुनावी वर्ष में अपने स्थिति बेहत्तर बनाने की कोशिश को कार्यकर्ता व जनता भी सवाल उठायेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह कहना कि विधायकों की स्थिति सुधरेगी तो उनका टिकट नही काटा जायेगा, साफ संदेश दे रहा है कि कांग्रेस भी जनता की नाराजगी को दूर करने के लिए विधायकों का टिकट काटने की रणनीति पर काम कर रही है।
जनता की नाराजगी खत्म करने के लिए कमजोर विधायको का टिकट काटने की रणनीति बना रही है कांग्रेस भी
छत्तीसगढ़ में एतिहासिक जीत मिलने के बाद कांग्रेस ने 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी के तहत विगत चार वर्षो से कांग्रेस विधायकों के कामकाज को लेकर चार सर्वे कराये है, इन सर्वो में कांग्रेस के लगभग 30 प्रतिशत विधायकों के कामकाज बेहद कमजोर पाये जाने के चलते आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी उनकों टिकट देगी यह सवाल गहराने लगा है, इनमें अधिकांश पहली बार बने विधायक शामिल है। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना हे कि पार्टी ने सर्वे के आधार पर कमजोर विधायको को अपना प्रदर्शन बेहत्तर करने का अवसर दिया गया है, लेकिन उसमें वह कितने सफल हुए यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब अभी तक नही मिल सका है, और ना ही आने वाली समय में मिल पायेगा। चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह कहना कि अगर विधायकों की स्थिति सुधरेगी तो उनका टिकट नही काटा जायेगा, अगर सुधार नही हुआ तो उनके टिकट का फैसला पार्टी करेगी। जो बताता है कि कांग्रेस भी भाजपा की तर्ज पर विधायकों का टिकट काट कर जनता की नाराजगी को दूर करने का प्रयास करने की योजना बना रही है। जिसमें बस्तर के भी कुछ विधायक हो सकते है क्योकि नारायणपुर में हुई चर्च तोडऩे की घटना के साथ ही पुलिस के साथ हुई झड़प से विधायक चंदन कश्यप की स्थिति को और कमजोर कर दिया है। इसके अलावा भी कई और विधानसभा में पार्टी के अंदरूनी गुटबंाजी के चलते विवाद की स्थिति बनी हुई है, जो टिकट काटने का कारण बन सकती है। सवाल यह है कि टिकट काटे जाने की संभावनाओं के चलते कांग्रेसी विधायक पाला बदल कर भाजपा या अन्य पार्टी का दामन थमेंगें, क्योकि चुनावी वर्ष में नेताओं का पाला बदलना एक आम बात हो गई है।

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