वोट बैंक की राजनीति के चलते राजनीति पार्टियों ने मौन साधा
प्रदूषण पर भारी पड़ रहा है राजनीति
पटाखों के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गाइडलाइन जारी करने के बाद भी मोदी सरकार के नेताओंं द्वारा आम जनता से प्रतिबंधित पटाखों को फोडऩे की अपील नही किया जाना यही संकेत दे रहा हेै कि मोदी सरकार प्रदूषण के मामले पर भारत को विश्व गुरू बनाने में किसी भी प्रकार की कसर नही छोडऩा चाहते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जारी दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में भारत के नौ शहरों का रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को जिस तरह से सरकारों द्वारा नजरअंदाज किया गया उससे पर्यावरण प्रेमियो में उम्मीद बंधी हेै कि प्रदूषित शहरों की सूची में और विस्तार की पूरी संभावनाएं है। उल्लेखनीय है कि प्रदूषण में दूनिया में भारत का डंका बजने के बाद भी तक यह राजनीतिक मुद्दा नही बन सका है।
सुपीम कोर्ट पटाखों को लेकर गंभीर, सरकारें मौन
पटाखों से उत्तरभारत में होने वाले प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट गंभीर नजर आ रहा है, विगत दो सालों से पटाखों को लेकर गाइडलाइन तो बना रहा है लेकिन इस गाइडलाइन का पालन कराने वाली सरकारें गंभीर नही होने के कारण पर्यावरण पे्रमियों में निराशा है उनका कहना है कि मोदी सरकार प्रदूषण के मामले पर भारत का दुनिया में जिस तरह से डंंका बज रहा है जल्द ही प्रदूषण के मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा विश्व गुरू घोषित कर दिया जायेगा । विकास के चलते पहले ही जंगलों का रकबा लगातार कम होता जा रहा है, नदियां नालों में तब्दिल हो रही है। निर्माण कार्यो के साथ ही वाहनों से होने वाला प्रदूषण साल भर होता है, जिसमें दीपावली में प्रतिबंधित पटाखों से होने वाले प्रदूषण से हालात और भी खराब हो जाते है। दिल्ली में दीपावली के अगले दिन शुक्रवार को गुणवक्ता नापने वाला सूचकांक 600 को पार कर गया जबकि 50 से ज्यादा नही होना चाहिए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि निर्माण कार्य, व वाहनों से होने वाले प्रदूषण को सरकार चाह कर भी रोक नही सकती है लेकिन अक्टूबर से दिसंबर के बीच पटाखों से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सकता है क्योकि इन्ही महीनों में उत्तरभारत में प्रदूषण की समस्या सबसे ज्यादा रहती है।
पटाखों से 15 जहरीले और खतरनाक तत्व निकलते है
दीपावली में प्रतिबंधित पटाखों को रोक कर मानव शरीर को नुक्सान पहुंचाने वाले सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड,ओजोन, आयरन, मैगनीज, बैरीलियम, निकेल जैसे तत्वों को हवा से मिलने रोका जा सकता है। भारत का केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी मानता हेै कि पटाखों से 15 ऐसे तत्व निकलते है जिससे मानव शरीर के लिए खतरनाक और जहरीला माना जाता है। पटाखों से होने वाले प्रदूषण को लेकर किये गये शोध में यह बात सामने आयी है कि दिवाली के अगले दिन हर साल पीएम 2.5 की मात्रा में 40 फीसदी की वृद्धि हो जाती है, इसे घंटो के हिसाब से देखे तो दिवाली के दिन शाम 6 बजे से रात 11 बजे तक पांच घंटों में पीएम 2.5 में 100 फीसदी की बढोत्तरी हो जाती है इसके बाद भी सरकारें जनता को प्रतिबंधित पटाखों को लेकर जागरूता फैलाने का प्रयास नही कर रही है। वोट बैंक की राजनीति से आगे निकल कर राजनीतिक दल कब स्वच्छ वातावरण बनाने की लड़ाई के लिए सामने आयेगें? यह ऐसा सवाल है जिसका इंतजार जानवरों के साथ ही पर्यावरण की चिंता करने वाले लोगों को है। क्योकि प्रदूषण वातावरण सभी को नुक्सान पहुंचा रहा है।