कृषि बिल के लाभ बता कर मोदी सरकार किसान नेताओं के भाजपा विरोध की हवा निकाल सकती है
विधानसभा चुनाव जितना किसान आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण है उतना ही नाक का सवाल मोदी सरकार के लिए भी है, बंगाल में मोदी सरकार सत्ता पर काबिज होने के लिए टीएमसी को भारी तोड़ फोड़ तक की है, ताकि सत्ता की चाबी भाजपा को मिल सके। वही मोदी सरकार के द्वारा लाये गये कृषि बिल के कारण किसानों की आय दूगनी हो जायेगी यह दावा मोदी सरकार कर रही है राजनीतिक पंडितों को उम्मीद है कि किसान आंदोलन की काट के लिए मोदी सरकार बंगाल की जनता व किसानों को कृषि बिल के लाभ बता कर अपने पक्ष में कर सकती है। विधानसभा चुनाव कृषि बिल के लाभ व नुक्सान की लड़ाई में तब्दिल हो सकता है।
विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार की राजनीतिक पकड़ को कमजोर करने के लिए के लिए किसान नेताओं में बंगाल में बिगूल फूंक दिया है , किसानों ने महापंचायत आयोजित कर कृषि बिल के नुक्सान बता कर भाजपा को वोट नही देने की अपील की है, किसानों के खूल कर भाजपा के खिलाफ आ जाने से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ गयी है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा के स्टार प्रचारकों के साथ ही चुनाव प्रचार करने वाले मोदी सरकार के नेताओं को जनता व किसानों को कृषि बिल के लाभ के बारे में बताना चाहिए कि कृषि बिल आने से उनके जीवन स्तर पर कितना सुधार होने वाला है जिसका कुछ किसान नेता विरोध कर रहे है। ज्ञात हो कि मोदी सरकार पहले भी कृषि बिल के बारे मेंं जनता को समझाने का दायित्व किसान नेताओं को दिया है लेकिन उन्हें गांवों में घूसने नही दिया जा रहा है, जिसके चलते कृषि बिल से होने वाले लाभ से जनता को अवगत नही करा पा रहे है। मोदी सरकार के पास विधानसभा चुनाव में कृषि बिल के लाभ बताने का शानदार मौका है, भारत एक कृषि प्रधान देश है, जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे है वह भी किसान ही सत्ता का निर्धारण करेगा, जिसकों देखते हुए मोदी सरकार को भी कृषि बिल को एक अहम मुद्दा बना कर चुनाव लडऩा चाहिए, यही किसान आंदोलन की काट भी है। भाजपा विधानसभा चुनाव जीतती है तो उसके पास किसान आंदोलन को कटघरे मेंं खड़ा करने का सुनहरा अवसर भी मिल जायेगा कि किसान कृषि बिल के खिलाफ नही है, विदेशी ताकतों की मदद से तथाकथित किसान नेता कृषि बिल को लेकर किसानों का गुमराह कर रहे है, जिनकी संख्या मुट्ठी भर है।