कार्यकर्ता रीढ़ की हड्डी है तो फिर कार्यकर्ताओं का हक क्यों मार रही है राजनीतिक पार्टियां
भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी क्या पूर्व विधायक मनोज मंडावी की पत्नी सवित्री मंडावी को उम्मीदवार बनायेगी या किसी दूसरे को टिकट देगी? यह सवाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय इसलिए बनता जा रहा है क्योकि रायपुर में आयोजित बैठक मेें 14 दावेदारों के नाम पर चर्चा जरूर हुई, लेकिन सवित्री मंडावी के अपनी नौकरी से इस्तीफा देने के चलते यह सवाल भी उठ रहा है कि कांग्रेस आलाकमान सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने के लिए यह जोड़ तोड़ का दिखावा का रहा है ताकि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की नाराजगी को खत्म किया जा सकें।
विधायक की मौत से खाली हुई सीट के उपचुनाव में जनता का सहानुभूति वोट पाने के लिए राजनीतिक दल पार्टी के कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करके मृतक नेता के परिवार वालों को टिकट देकर अपनी जीत सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। भाजपा ने दंतेवाड़ा उपचुनाव में विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ओज्सवी मंडावी को टिकट दी लेकिन वह चुनाव जीत नही सकी। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस भानुप्रपातपुर विधानसभा उपचुनाव में सहानुभूति वोट पाने के लिए विधायक मनोज मंडावी की पत्नी सवित्री मंडावी को टिकट देकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर पानी फेर देगी जो इस उम्मीद से पार्टी के लिए काम कर रहे है कि उन्हें भी पार्टी कभी विधायक का टिकट देगी? कांग्रेस आलाकमान भानुप्रपातपुर में कांग्रेसी प्रत्याशी के नामों पर चर्चा करने शुरू कर दी है। रायपुर में आयोजित बैठक में एक दर्जन से ज्यादा नामों पर जरूर चर्चा हुई लेकिन सवाल अहम सवाल यह है कि क्या कांग्रेस मनोज मंडावी की पत्नी सवित्री मंडावी को टिकट देगी जो सरकारी नौकरी छोड़कर चुनाव लडऩा चाहती है? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा उपचुनाव की टिकट की घोषणा नामांकन के एक दो दिन पहले ही होगी ताकि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ कोई बगावत ना कर पाये?