रेल सुविधाओं की मांग उठाने वाले लोग क्या जमीनी हालातों का आंकलन करते है?
9 वीं क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति की बैठक में रेल सुविधाओं के लिए उठाये गये मुद्दा क्या उचित थे? यह सवाल इसलिए आम जनता में चर्चा का विषय बन रहा है क्योकि रेल अधिकारियों ने अधिकांश मांगों को आश्वसन व अपने क्षेत्र का नही होकर टाल दिया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिन मुद्दो को इस बैठक में विधायक रेखचंद्र जैन ने उठाया है उसकी मांग राजनीतिक दल के नेता व रेल आंदोलन से जूड़े लोग लम्बे समय से करने के बाद भी उनकी मांगों को रेल विभाग गंभीरता से नही ले रहा है, इसके बाद भी बस्तर की रेल सुविधाओं की लड़ाई लडऩे वाले नई मांगों पर ध्यान नही देते जो रेल विभाग को खारिज करने में समस्या आये। पूर्व में रेल आंदोलन करने वालों ने विशाखापट्नम से नई दिल्ली चलने वाली समता एक्सप्रेस को भी जगदलपुर से चलाने की आवाज बुलंद की थी इसे भी रेल विभाग ने गंभीरता से नही लिया उसी तरह ही रांची से दिल्ली के बचने वाली ट्रेन को जगदलपुर तक बढ़ाये जाने के लिए भी लोगों द्वारा मुहिम चलाई गयी, उसे भी रेल विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल दिया। सवाल यह है कि बस्तर हितों को देखते हुए जगदलपुर से किरंदुल के बीच सुबह के वक्त एक लोकल ट्रेन चलाये जाने की मांग अभी तक क्यों किसी के द्वारा नही उठायी गई, जिसे शुरू करने के लिए रेल विभाग के पास कोई ठोस बहाना नही मिलेगा, क्योकि इसके लिए सिर्फ इंजन व कुछ डब्बे की ही जरूरत है, और इस पैंसेजर का सीधा लाभ बस्तरवासियों को मिलेगा।
दुर्ग जगदलपुर एक्सप्रेस क्या चालू हो पायेगी?
9वीं क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति की बैठक की चर्चा इन दिनों राजनीतिक गलियारों में हो रही हेै, लेकिन इस बैठक में रेल विभाग ने सिर्फ आश्वासन देकर ही मामले को रफा कर दिया है, क्योकि रेल सुविधााओं की जो भी मांगें इसमें की गयी है उसे पूरा करना रेल विभाग के लिए मुश्किल है। दुर्ग जगदलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस जब बंद की गई थी उस वक्त बस्तर में इस ट्रेन को शुरू करने के लिए कोई भी प्रयास किसी के द्वारा नही किया गया लेकिन कई सालों के बाद इस ट्रेन की चिंता लोगों को जरूर होने लगी है, सवाल यह है कि मोदी सरकार घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को देश हित में बेच रहे है तो जगदलपुर दुर्ग एक्सप्रेस जिसके बारे में कहा जाता है इसको सवारी नही मिलती थी तो हालातों में बंद ट्रेन कैसे चालू हो पायेगी यह बड़ा सवाल है। ऐसे में इस ट्रेन का नाम बदलने व टाईमिंग बदलने की मांग कही से भी जायज नही लगती है। उसी तरह ही सम्लेश्वरी एक्सप्रेस के टाईम में दो घंटे के बदलाव की बात कही गई है, यह ट्रेन बस्तर से कुछ ही सालों से चल रही है लेकिन कोरापुट, रायगढ़ा, टीटलागढ़ और सम्बलपुर से बहुत पहले से चल रही है इसलिए इस ट्रेन का टाईम इन जगहों पर पांच से दस मिनट ही बदल सकता है दो घंटों का बदलाव संभव ही नही है। नाईट एक्सप्रेस के टाईमिंग बदलने की मांग रेल विभाग ने इसलिए खारिज कर दी कि इससे विशाखापट्नम से आगे सफल करने वाले लोगों को ट्रेन नही मिल पायेगी। जगदलपुर के प्लेटफार्म को विस्तार की मांग पर लोगों का कहना है कि वर्तमान प्लेटफार्म लगभग 16 डब्बे का है, बस्तर से कोई भी ट्रेन इतनी लम्बी नही है, उसी के साथ ही रेल डब्बे की जानकारी देने वाले सिंगल की भी आम जनता को कोई मुश्किल नही है क्योकि अधिकांश ट्रेन जगदलपुर से ही चलते है इसलिए यात्री को ट्रेन पकडऩे में किसी तरह की समस्या नही होती है, यह सुविधा उन स्टेशनों में जरूरी है जहां पर ट्रेनों का कुछ मिनट का स्टॉपेज रहता है, ताकि यात्री अपने डब्बे के पास खड़े हो सके। जगदलपुर रावघाट रेललाईन निर्माण की बस्तर को बहुत जरूरत है, लेकिन राजनीतिक दलों व आम जनता को इस बात का एहसास है कि भिलाई प्लांट के लिए कच्चा लोहा के लिए ही दल्ली राजहरा रावघाट रेललाईन का निर्माण पहले चरण में किया जा रहा है, ऐसे में इस रेललाईन का विस्तार जगदलपुर तक किये जाने के लिए एक बड़ी लडाई की जरूरत है, क्योकि यह मांग कम से कम ज्ञापन से तो कभी भी पूरी नही होगी, क्योकि अभी तक इस लाईन के निर्माण के लिए सिर्फ ज्ञापनों का ही सहारा लिया गया है। पहली बार बस्तर में इस रेलवे लाईन के लिए पदयात्रा का आयोजन किया गया्र, इस पदयात्रा में इस रेल लाईन की मांग करने वाले कितने नेता शामिल हुए यह एक बड़ा सवाल है? जो राजनीतिक गलियारों के साथ ही आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वर्तमान हालातों में बस्तरवासियों को जगदलपुर किरंदुल पैंसेजर ट्रेन की सुबह के वक्त बहुत जरूरत है क्योकि डीजल के दाम बढऩे से बस किराया भी लगातार बढ़ रहा है, अगर यह सुविधा मिल जाये तो आम जनता को लाभ मिलेगा ही वही दैनिक उपयोग के अन्य सामानों के परिवहन में भी आसानी होगी। लेकिन लोकल ट्रेन की मांग नेताओं व आंदोलनकारियों के द्वारा अभी तक क्यो नही की गई है? वही बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए कोरापुट से चलने वाली ट्रेन को जगदलपुर या किरंदुल से विस्तार का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि रेल विभाग को इसके लिए बहाना खोजने में समस्या आयेगी। वर्तमान में बस्तर से चलने वाली अधिकांश ट्रेन का कोरापुट से जगदलपुर तक बढ़ाया गया है, जगदलपुर दुर्ग ट्रेन बस्तर को ध्यान में रख कर शुरू की गई थी, वह बंद हो गई है।
नाईट एक्सप्रेस की मांग कभी भी आंदोलनकारियों ने नही की आज वह सबसे सफल ट्रेन है बस्तर की
लोकल ट्रेन लोकल लोगों के लिए लाईफलाईन होती है। आईजी श्री क्ल्लूरी के वक्त पुलिस मैंस में रेल सुविधाओं के लेकर आयोजित कार्यक्रम में तत्कालीन डीआरएम चंद्रलेखा से यह सवाल पूछा गया कि जगदलपुर से किरंदुल के वक्त सुबह के वक्त कोई भी ट्रेन नही है, जबकि इसकी जरूरत हर कोई महसूस कर रहा है, उन्होंने इसका जवाब दिया कि यह मांग अभी तक किसी ने नही की है? इसके बाद जरूर उन्होंने नाईट एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया, गौरतलब है कि रेल आंदोलन से जूडे लोगों ने कभी भी विशाखापट्नम से जगदलपुर तक रात्रिकालीन एक्सप्रेस चलाने की मांग नही की, लेकिन बस्तर की जरूरत को मद्देनजर यह सुविधा शुरू की गयी थी, जो आज बस्तर की सबसे सफल ट्रेनों में गिनी जाती है। जो सुबह 6 बजे के वक्त जगदलपुर से किरंदुल के लिए जाती है, लेकिन एक्सप्रेस सुविधा होने के कारण बस्तरवासी इसका लाभ नही हे पा रहे है। जिस तरह सुबह के वक्त जगदलपुर से किरंदुल के बीच कोई ट्रेन नही है उसी तरह ही शाम के वक्त किरंदुल से जगदलपुर के बीच कोई ट्रेन नही है। वर्तमान में चलने वाली पैंसेजर ट्रेन में बड़ी संख्या में शाम के वक्त लोग आने जाने के साथ सामान ले जाने मे करते है। यह ट्रेन सुबह किरंदुल से जगदलपुर आती है।