सुधांशु त्रिवेदी ने छत्रपति शिवाजी के औरंगजेब से माफीनामे का उल्लेख करके एक नये विवाद को जन्म दिया स्वतंत्र भारत में
वीर सावरकर के अंग्रेजों से माफी मांगने का मामले को भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने विस्तार देते हुए छत्रपति शिवाजी के औरंगजेब के माफी नामे से जोड़ कर एक नये विवाद का जन्म देने के साथ ही भाजपा की परेशानी को बढ़ाने वाला साबित होगा। छत्रपति शिवाजी के औरंगजेब से माफी नामे को लेकर अभी तक राजनीति नही होती रही है लेकिन अब शुरू हो गई है, सवाल यह है कि भाजपा इस नये विवाद से किस तरह से निपटती है, गुजरात विधानसभा चुनाव के पूर्व आये इस नये विवाद भाजपा की मुश्किलों में इजाफा ही करेगा?
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने वीर सावरकर के अंग्रेजों के माफी नामे का उल्लेख करने के बाद एक बार फिर राजनीति पारा गर्मा गया, गुजरात विधानसभा चुनाव के चलते भाजपाई इस मामले पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश में जूड गये, लेकिन अतिउत्सह में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने वीर सावरकर द्वारा अंग्रेजों को लिखे गये माफीनामे सही बताने के लिए कहा कि यह उस जमाने की बात है जब बहुत सारे लोग बाहर निकलने के लिए एक ही फॉमेट में माफी मांगते थे, छत्रपति शिवाजी ने भी औरंगजेब को पांच बार माफीनामे का पत्र लिखा था। भाजपा प्रवक्ता के इस बयान के बाद मामला पूरी तरह से उल्टा पड़ गया है, कांग्रेसी छत्रपति शिवाजी के माफीनामे पर अब भाजपा को घेरने में जूट गये है युवक कांग्रेस ने नागपुर में हेडगेवार के निवास स्थान पर सुधांशु त्रिवेदी का पुतला भी जलाया। अभी तक देश वीर सावरकर के माफी नामें पर ही बहस करता रहा है आने वाले समय में छत्रपति शिवाजी के औरंगजेब से माफी नामें पर भी बहस करेगा? इतिहास का सहारा लेकर राजनीति करने वाली भाजपा छत्रपति शिवाजी के औरंगजेब से माफी मांगने की बात कह करके कही ना कही शिवाजी का अपमान ही किया है। सवाल यह है जब भाजपा को वीर सावरकर के माफी नामे पर दिक्कत होती है तो छत्रपति शिवाजी के औरंगजेब के माफी नामे पर दूसरों को भी दिक्कत होगी, जो भाजपा की परेशानी बढ़ाने वाली साबित हो सकता है क्योकि महाराष्ट्र में बीजेपी शिंदे गुट व एमएनएस ने भाजपा प्रवक्ता के बयान का विरोध किया ।