आप पार्षद द्वारा मतदान में की गयी चूक का फायदा भाजपा को मिला
भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक पर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करती दिखाई दे रही है, वही चंंडीगढ नगर निगम में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने वाली आम आदमी पार्टी के पार्षद द्वारा मतदान में चूक का फायदा उठाते हुए महापौर पर भाजपा ने अपना कब्जा बरकरार रखा। कांग्रेस और अकाली दल ने मतदान में हिस्सा नही लिया। चुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर धांधली का आरोप लगाकर धरना में बैठ गई ।
चूक का भी राजनीतिक फायदा उठाया जा सकता है, यह बात भाजपा ने देश की जनता को बताया। पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक पर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जमकर राजनीति हो रही है, वही चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी 14 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी अपना महापौर नही बना सकी। वही भाजपा 12 सीट जीत कर भी अपना महापौर आम के पार्षद के मतदान में चूक के चलते बनाने में सफल रही। गौरतलब है कि कांग्रेस से निकाले जाने के बाद देवेंद्र सिंह बबला अपनी नवनिर्वाचित पार्षद पत्नी हरप्रीत कौर बबला के साथ भाजपा में शामिल हो गये। जिससे भाजपा के 13 वोट हो गये, इसके बाद भी आम आदमी पार्टी एक वोट से आगे थे, क्योकि कांग्रेस व अकाली दल ने इस मतदान में हिस्सा नही लेने का फैसला लिया था । इसलिए खरीद फरोख्त की संभावना भी खत्म हो गयी थी। आप का महापौर ना बने इसके लिए जरूरी था कि आप पार्षद के वोटिंग में चूक हो, और हुई भी। बीजेपी सांसद किरण खेर को भी एक वोट डालने का अधिकार है इसलिए बीजेपी के पास 14 वोट हो जाने से भाजपा की तरफ से महापौर की प्रत्याशी सरबजीत कौर चंडीगढ की नयी मेयर बनी। आप ने अंजू कल्याण को महापौर के पद पर उतारा था। चुनाव हारने के बाद आम आदमी पार्टी ने मेयर के चुनाव पर धांधली का आरोप लगाते हुुए मेयर की कुर्सी के पीछे ही धरने पर बैठ गये। डीसी विनय प्रताप सिंह को भी मौके पर रोक लिया गया। नगर निगम के अंदर मार्शल को बुला कर लोकतंत्र को बचाने का प्रयास किया गया। चंडीगढ़ की जनता ने जरूर भाजपा को हरा दिया, लेकिन इसके बाद भी भाजपा ने अपना महापौर बना कर साबित कर दिया कि जनता जिसे भी जीताये, लेकिन कुर्सी पर भाजपा ही कब्जा होगा।