गुजरात के नेताओं को ही किनारे करने में लगेें है, पहले आडवाणी अब सरदार पटेल योजनाओं ही नही नामकरण के मामले पर भी गांधी परिवार को टक्कर देने की शुरूआत हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले सुनियोजित तरीके से भाजपा के संस्थापक सदस्यों में एक लालकृष्ण आडवाणी को राजनीति से किनारा कर दिया , और अब मोटेरा के स्टेडियम से सरदार पटेल का नाम हटा कर अपना नाम दर्ज करा लिया। गौरतलब हेै कि दोनों ही नेता गुजरात से राजनीति कर अपने पहचान पूरे देश में बनायी, और किनारे करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुजरात से ही आते है। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री सरदार पटेल की विशाल मूर्ति का निर्माण किया है, जिसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया गया लेकिन आज उसी सरदार पटेल के स्टेडियम को अपने नाम करके क्या सरदार पटेल का अपमान तो नही कर रहे है? भाजपा गंाधी परिवार पर राष्ट्रीय संपत्ति को अपने नाम दर्ज कराने का आरोप लगा कर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करती रही है लेकिन आज मोदी सरकार लौह पुरूष के रूप में जाने जाने वाले सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल कर नरेन्द्र मोदी स्टेडियम किये जाने को लेकर राजनीति हो रही है, भाजपा गंाधी परिवार के नामों का उल्लेख करके जरूर अपना बचाव कर रही है, लेकिन जो गलती कांग्रेस सरकारों ने की, क्या वही गलती मोदी सरकार नही कर रही है? यह सवाल इसलिए बड़ा है कि सत्ता में आने के पूर्व मोदी सरकार कांग्रेस की हर नीति पर सवाल उठाया जिसमें किसान बिल भी शामिल है लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्ही कानूनों को लागू कर रहे है जिसमें अब अपने नाम से स्टेडियम का नामकरण भी शामिल हो गया हैमोदी जी, गुजरात के नेताओं को ही किनारे करने में लगेें है, पहले आडवाणी अब सरदार पटेल
योजनाओं ही नही नामकरण के मामले पर भी गांधी परिवार को टक्कर देने की शुरूआत हुई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले सुनियोजित तरीके से भाजपा के संस्थापक सदस्यों में एक लालकृष्ण आडवाणी को राजनीति से किनारा कर दिया , और अब मोटेरा के स्टेडियम से सरदार पटेल का नाम हटा कर अपना नाम दर्ज करा लिया। गौरतलब हेै कि दोनों ही नेता गुजरात से राजनीति कर अपने पहचान पूरे देश में बनायी, और किनारे करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुजरात से ही आते है। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री सरदार पटेल की विशाल मूर्ति का निर्माण किया है, जिसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया गया लेकिन आज उसी सरदार पटेल के स्टेडियम को अपने नाम करके क्या सरदार पटेल का अपमान तो नही कर रहे है? भाजपा गंाधी परिवार पर राष्ट्रीय संपत्ति को अपने नाम दर्ज कराने का आरोप लगा कर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करती रही है लेकिन आज मोदी सरकार लौह पुरूष के रूप में जाने जाने वाले सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल कर नरेन्द्र मोदी स्टेडियम किये जाने को लेकर राजनीति हो रही है, भाजपा गंाधी परिवार के नामों का उल्लेख करके जरूर अपना बचाव कर रही है, लेकिन जो गलती कांग्रेस सरकारों ने की, क्या वही गलती मोदी सरकार नही कर रही है? यह सवाल इसलिए बड़ा है कि सत्ता में आने के पूर्व मोदी सरकार कांग्रेस की हर नीति पर सवाल उठाया जिसमें किसान बिल भी शामिल है लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्ही कानूनों को लागू कर रहे है जिसमें अब अपने नाम से स्टेडियम का नामकरण भी शामिल हो गया है।
मोदी जी, गुजरात के नेताओं को ही किनारे करने में लगेें है, पहले आडवाणी अब सरदार पटेल
योजनाओं ही नही नामकरण के मामले पर भी गांधी परिवार को टक्कर देने की शुरूआत हुई
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले सुनियोजित तरीके से भाजपा के संस्थापक सदस्यों में एक लालकृष्ण आडवाणी को राजनीति से किनारा कर दिया , और अब मोटेरा के स्टेडियम से सरदार पटेल का नाम हटा कर अपना नाम दर्ज करा लिया। गौरतलब हेै कि दोनों ही नेता गुजरात से राजनीति कर अपने पहचान पूरे देश में बनायी, और किनारे करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुजरात से ही आते है। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री सरदार पटेल की विशाल मूर्ति का निर्माण किया है, जिसे एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया गया लेकिन आज उसी सरदार पटेल के स्टेडियम को अपने नाम करके क्या सरदार पटेल का अपमान तो नही कर रहे है? भाजपा गंाधी परिवार पर राष्ट्रीय संपत्ति को अपने नाम दर्ज कराने का आरोप लगा कर कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करती रही है लेकिन आज मोदी सरकार लौह पुरूष के रूप में जाने जाने वाले सरदार पटेल स्टेडियम का नाम बदल कर नरेन्द्र मोदी स्टेडियम किये जाने को लेकर राजनीति हो रही है, भाजपा गंाधी परिवार के नामों का उल्लेख करके जरूर अपना बचाव कर रही है, लेकिन जो गलती कांग्रेस सरकारों ने की, क्या वही गलती मोदी सरकार नही कर रही है? यह सवाल इसलिए बड़ा है कि सत्ता में आने के पूर्व मोदी सरकार कांग्रेस की हर नीति पर सवाल उठाया जिसमें किसान बिल भी शामिल है लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्ही कानूनों को लागू कर रहे है जिसमें अब अपने नाम से स्टेडियम का नामकरण भी शामिल हो गया है।
नाम बदलना सनातन संस्कृति है क्या?