October 23, 2024

बस्तर में माहरा समाज को साधने के लिए दशको पूराने शिक्षणिक संस्थानों का नाम बदला गया

अंग्रेजों के जमाने के स्कूल जिसे अभी तक बस्तर हाई स्कूल के नाम से जाना जाता था अब उसे जगतू माहरा के नाम से जाना जायेगा
बस्तर में नाम बदल कर विकास की गाथा लिखी जा रही है

योगी सरकार पर नाम बदल कर विकास करने की राजनीति करने का आरोप कांग्रेसी लगाते है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार भी बस्तर में नाम बदल कर अपना वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में लगी हुई है । इसी तारतम्य में बस्तर हाई स्कूल का नाम जगतू महारा और पॉलिटेक्रि कॉलेज का नाम धरमू माहरा के नाम करके बस्तर संभाग मेेंं माहरा वोट को अपने पालें में करने की कोशिश की है। पूर्व मेंंं बस्तर विश्वविद्यालय का नाम बदल कर शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय किया गया था। कांग्रेस सरकार हर शिक्षण सस्थान का नामकरण करने के लिए कृत संकल्पित नजर आ रही है। इसलिए कई दशकों पूराने स्कूल का नामकरण किया जिसे अभी तक नाम नही मिला था। जगदलपुर में माहरा समाज के बनने वाले सामुदायिक भवन का नाम भी जगतू माहरा के नाम पर रखे जाने की घोषणा की गयी।
0योगी सरकार उत्तरप्रदेश में शहरों का नाम बदलकर धु्रवीकरण की राजनीति करके सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है उसी तरह ही कांग्रेस सरकार बस्तर में अपनी पकड़ को मजबूत बनाये रखने के लिए शिक्षण सस्थानों के नाम बदल कर अपने वोटरों को खूश करने की कोशिश में लगी नजर आ रही है। पूर्व में कांग्रेस सरकार ने मेडिकल कॉलेज व बस्तर विश्वविद्यालय का नाम बदल कर शहीद महेंद्र कर्मा के नाम करके अपनी पीठ थपथापाई, इसके बाद अंग्रेजों के जमाने का बस्तर हाई स्कूल का नाम बदल कर जगतू माहरा के साथ ही पॉलिटेक्रि कॉलेज का काम बदल कर धरमू माहरा किया जाना स्पष्ट करता है कि बस्तर में माहरा वोट को साधने के लिए कांग्रेस ने कई दशकों पूरानी इस शिक्षण संस्थानों को नाम बदला है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि योगी सरकार की तर्ज पर ही छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार में बस्तर में नाम बदलने की राजनीति कर रही है। कांग्रेस भाजपा पर और भाजपा कांग्रेस पर नाम बदलने की राजनीति का आरोप प्रत्यारोप करते है लेकिन जमीनी स्तर पर दोनों ही राज्य सरकार नाम बदल कर विकास की नयी गाथा लिखने के कोशिश में लगी है।

माहरा वोट पर नजर

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बस्तर में माहरा वोटरों का अहम रोल है, भाजपा सरकार में माहरा समाज अनुसूचित जाति में शामिल कराये जाने की मांग को लेकर लम्बी लड़ाई लड़ी लेकिन इनकी मांग पूरी नही होने पर भाजपा से भी दूरी बना ली जिसके बाद से बस्तर में भाजपा की मुश्किलें बढऩे लगी। कांगे्रस ने माहरा वोटों को अपने पाले में करने के लिए जगदलपुर विधानसभा सीट से सामू कश्यप को टिकट भी दिया जिसका लाभ उन्हें बस्तर में मिला और छत्तीसगढ़ बनने के बाद पहली बार कांग्रेस आठ सीट जीतने में सफल रही, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का बस्तर से सफाया हो गया। कांग्रेस ने संभाग मुख्यालय के दो पुराने शैक्षणिक संस्थानों का नाम माहरा के नाम तो कर दिया है लेकिन माहरा समाज की अनुसूचित जाति की मांग अभी पूरी नही हुई है जिसे विपक्ष में रहते पूरा करने का वादा कांग्रेसियों ने किया था।

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