April 30, 2025

ट्रिब्यूनलों की जजों की नियुक्तियों में मोदी सरकार गंभीर क्यो नही

दलपतसागर का मामला भी एनजीटी में लटका है, फैसला नही आने के कारण जागरूक लोगों की मेहनत पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है

मोदी के नये भारत में क्या अदालतों के फैसलों का सम्मान भी नही हो रहा है, यह सवाल इसलिए गहरा गया है क्योकि सर्वोच्च अदालत के द्वारा केंद्र सरकार से ट्रिब्यूनलों में जजों की नियुक्ति के संबंध में जवाब देने से बचती दिखाई दे रही है। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे है, साथ ही कहा कि हमारे पर तीन विकल्प है, पहला कानून पर रोक लगा दें , दूसरा ट्रिब्यूनलों को बंद कर दें या फिर उनकी नियुक्तियां स्वयं करें और उसके बाद सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करें। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्रिब्यूनलों की जजों की नियुक्तियों पर जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि व्यूरोक्रेसी ट्रिब्यूनल नही चाहती हैं, इसलिए देश भर के अलग-अलग ट्रिब्यूनल जैसे आम्र्ड फोर्स ट्रिब्यूनल और एनजीटी आदि में जूडिशियल और नॉन जूडिशियल मेंबरों के पद खाली पड़े है। इस मामले पर केंद्र सरकार को अपना स्टैंड स्पष्ट करना चाहिए कि वह ट्रिब्यूनल बनाये रखना चाहती है या उसे बंद करना चाहती है। गौरतलब है कि बस्तर के एतिहासिक दलपतसागर का मामला भी ग्रीन ट्रिब्यूनल में कई वर्षो से चल रहा है लेकिन उसका फैसला अभी तक नही आया है। ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामले चलने के दौरान ही दलपतसागर के आसपास निर्माण कार्यो का जारी रहना यही संकेत दे रहा हेै कि विकास के नाम पर अदालतों के फैसलों को सुनियोजित तरीके से लंबा खींचा जा रहा है, ऐसे में ग्रीन ट्रिब्यूनल की उपयोग पर ही सवाल उठता है। वही दूसरी तरफ पर्यावरण से जूडे लोग जिस उम्मीद से एनजीटी का दरवाजा खटखटाते है उन्हें भी निराशा ही हाथ लगती है। शहर के जागरूक लोगों ने दलपतसागर को बचाने की एतिहासिक लड़ाई लड़ी, लेकिन आज उनकी मेहनत फैसला नही आने के कारण बेकार होती दिखाई दे रही है। मोदी सरकार को एक मजबूत सरकार बताने का भाजपा नेता हर संभव प्रयास करते है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिब्यूनलों की जजों की नियुक्ति पर टिप्पणी स्पष्ट करती हेै कि जनहित से जूडे अदालतों की हालत बहुत ही खराब है।

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