October 23, 2024

पत्रकार बने पी आर ओ

टेलीप्राँम्पटर मामले पर अमिश देवगन उतरे पी एम के बचाव में

गोदी मीडिया के पत्रकार को क्या मोदी सरकार पीआरओ की तर्ज पर सुविधा प्रदान करती है, जिसकी वजह से उन्हें सरकार के बचाव के लिए सामने को मजबूर होना पड़ता है ? जबकि सरकार ने इसके लिए अलग विभाग बनाने के साथ पूरी सरकारी टीम भी सरकार के पक्ष में खड़ी रहती है। यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब जनता को भी ठीक उचित उम्मीदवार की तरह खोजना चाहिए। अन्यथा लोकतंत्र के साथ पत्रकारिता की भी खटिया खड़ी हो जायेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्व आर्थिक मंच दावोस एजेंडा को संबोधित करते वक्त अचानक रूक जाने का वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि टेलीप्राँम्पटर बंद हो गया था जिसके चलते अपना भाषण रोका। जिस पर विपक्ष की भूमिका निभाते हुए कांग्रेस नेता राधिका खेड़ा ने लिखा कि बिग ब्रेकिंग! प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस में लोगों को न संबोधित करने का खुलासा हो गया है। कांग्रेस नेता राधिका खेड़ा की बात अमिश देवगन को क्यों अच्छी नहीं लगी ? जबकि वह अधिकृत तौर पर भाजपा कार्यकर्ता भी नहीं है, उन्होंने लिखा कि आप पूरी तरह से गलत समझ रही हैं। मैंने वीडियो दो बार देखा था और यह केवल साउंड प्राँब्लम है । इसमें टेलीप्राँम्पटर का कोई लेना देना नही है । आवाज को आसानी से सुना जा सकता है । अगर आपको इससे लगता है कि कोई बड़ा खुलासा किया है तो दिल बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है। अमिश देवगन ने टेली प्राँम्पटर के मामले पर जरूर पीएम का बचाव किया लेकिन साढ़े सात में एक भी प्रेस कान्फ्रेंस को लेकर किसी प्रकार की कोई सफाई नही दी, वैसे पी एम मोदी के पत्रकार करण थापर के साथ किया गया इन्टरव्यू  अभी भी सोशल मीडिया में  देखा जाता है ।
अमिश देवगन के पीएम के बचाव में आने से यह स्पष्ट होता है कि वह पत्रकार नही अघोषित रूप से भाजपा के नेता या फिर सरकार के पी आर ओ की तरह काम कर रहे हैं। जबकि सरकार इस मामले पर सफाई दे सकती है।जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार में पत्रकारिता का इतना विकास हुआ कि पत्रकार को ईमानदार बोलने पर गुस्सा आ जाता है, प्रधानमंत्री पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाने पर भाजपा नेता की तरह पत्रकार बचाव में उतरने को मजबूर हो जाते है।

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