राफेल डील में भ्रष्टाचार कांग्रेस सरकार में हुआ या मोदी सरकार में इसका पता कैसे चलेगा?
मोदी सरकार में राफेल डील फायनल हुई और इस सौंदे के भ्रष्टाचार का जिम्मेदारी कांग्रेस सरकार की, यह कैसे संभव हो सकता है लेकिन भाजपा प्रवक्ता संबीत पात्रा इस असंभव को संभव बनाने की कोशिश करते नजर आ रहे है। उनका कहना0 है कि राफेल डील में कमीशन का खेल 2007 से 2012 के बीच हुआ, जब देश में कांग्रेस की सरकार थी।
राफेल डील मोदी सरकार के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है, मोदी सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर देश में इस मामले को ठंडे बस्ते मेंं डालने में पूरी तरह से सफल भी हो गये, लेकिन फ्रांस में यह मामला सुर्खियों मेंं बने रहने से मोदी सरकार की परेशानियां कम नही होती नजर आ रही है। उत्तरप्रदेश चुनाव के पूर्व राफेलमामले पर कम से कम 65 करोड़ा रूपये भारतीय बिचौलिए को दिए जाने का मीडियापार्ट के खूलासे के बाद एक बार फिर राफेल सौंदे पर राजनीतिक पारा गर्माने लगा है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस बार मीडियापार्ट की रिपोर्ट को पूरी तरह से गलत व मनगढंत बताने की जगह यह करते हुए मोदी सरकार का बचाव किया कि मीडिया रिपोर्ट के हिसाब से राफेल डील में कमीशन का खेल 2007 से 2012 के बीच हुआ है। जब देश में किसकी सरकार थी? राहुल गांधी को इसका जवाब देना चाहिए। मीडिया पार्ट की रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि भारत के संघीय पुलिस बल, केंद्रीय जांच ब्यूरों और प्रवर्तन निदेशालय के सहयोगियों के पास अक्टूबर 2018 से सबूत थे कि डसॉल्ट ने कम से कम 65 करोड़ का भुगतान किया है। इस वक्त केंद्र में मोदी सरकार थी भाजपा प्रवक्ता को देश की जनता को यह बताना चाहिए कि जब जांच एजेंसियों को इसकी जानकारी थी तो मोदी सरकार ने क्या किया ? गौरतलब है कि विपक्ष में रहते भाजपाईयों ने राफेल डील पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार की इस डील को आगे बढ़ाने के साथ ही उसमें राष्ट्रहित का हवाला देकर बदलाव भी किया जिससे राफेल विमान के रेट बहुत बढ़ गये जिसकों लेकर भी मोदी सरकार पर सवाल उठ रहे है। आज जब राफेल सौंदे की प्याज की परतों की तरह भ्रष्टाचार की पोल खूल रही है तो भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा कांग्रेस सरकार के समय लेनदेन का हवाला देकर अपना दामन बचाना चाहते है जबकि मोदी सरकार के दौरान इस डील को फायनल किया गया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मोदी सरकार की मीठा मीठा गप गप और कड़वा कड़वा थू थू की नीति पर राफेल मामले पर भी चल रही है। जब राफेल की डील फायनल की गयी तो उसे एतिहासिक बताया गया लेकिन आज जब राफेल डीज में भारतीय बिचौलिए के लिए 65 करोड़ रूपये लिए जाने की बात सामने आ रही थे तो कांग्रेस सरकार की याद आ रही है। मोदी सरकार राफेल सौंदे से अपना दामन किसी भी हालत में बचा नही सकती है, वही भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा 65 करोड़ रूपये भारतीय बिचौलियों को दिये जाने के बाद को इंकार करने की जगह उसे स्वीकार करके कांग्रेस सरकार की याद दिलाना स्पष्ट करता है कि भाजपा भी यह मान नही है कि राफेल डील में भ्रष्टाचार हुआ है। सवाल यह है कि भ्मोदी सरकार में राफेल डील बदलाव के साथ फाइनल हुई औरभ्भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदारी कैसे संभव है।
राफेल डील ने भारतीय न्यायिक व्यवस्था की भी पोल खोल दी
राफेल डील मामले को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लायक नही समझा और मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी, लेकिन राफेल जिस देश से खरीदा गया वहां पर राफेल डील में भ्रष्टाचार के रोजाना नये नये खूलासे होना स्पष्ट करता है कि कोर्ट भी सरकार के दवाब में काम कर रही है, क्योकि राफेल डील में मोदी सरकार को क्लीन चिट देने वाले जज को राज्यसभा संसद बना दिया है। और अब भाजपा भी यह मानती दिखाई
दे रही है कि राफेल डील में भ्रष्टाचार हुआ है अब अंतर यह है वह भ्रष्टाचार मोदी सरकार में ना होकर कांग्रेस सरकार में हुआ है।
राफेल पर प्रदेश में भी राजनीति गर्मायी
राफेल मामले पर छत्तीसगढ़ में भी राजनीति गर्माने लगे है, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 65 करोड़ के भ्रष्टाचार मामले पर कहा कि न खाऊंगा ना खाने दूंगा का नारा लगाते थे, मगर मेहनतकसों का पैसा दलाली में जा रहा है, प्रधानमंत्री इस पर जवाब देना चाहिए। जिस पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि राफेल की डील यूपीए शासनकाल में हुई थी। राफेल सौदे पर झूठ फैलाने पर राहुल गांधी को सुपीम कोर्ट में हाजिर होकर माफी मांगनी पड़ी थी, ये ना भूलें। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा प्रवक्ता संबीत पात्रा की तरह ही प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने भी मीडियापार्ट के भारतीय बिचौलियों को 65 करोड़ की रकम मिलने के आरोपों से इंकार नही किया है।