दशहरा के वक्त पहली बार रावण के गुणों पर माीडिया में हुई चर्चा
आदिपुरूष में सैफ अली खान अगर रावण का लूक में अलाऊद्दीन खिलजी की तरह लोगों को नजर नही आते तो स्वतंत्र भारत में दशहरा पर्व के वक्त रावण के गुणों पर चर्चा कभी नही होती? दशहरा में रावण के पुतले जलाये जाने की परंपरा है, आदिपुरूष फिल्म के टीचर ने एक स्थापित परंपरा को तोड़ते हुए मीडियां रावण के गुणों को लेकर चर्चा कर रही है, सवाल यह है कि देश रावण के गुणों से अवगत होने के बाद क्या दशहरा के वक्त होने वाले रावण के पुतला दहन पर भी रोक लगायेगा? या मीडिया वाले यह सवाल उठायेगें कि महान ज्ञानी का पुतलां जलाने वाला रावण से बड़ा ज्ञानी होना चाहिए, अन्यथा रावण का पुतला नही जलाया जाना चाहिए।
फिल्म आदिपुरूष का टीजर आने के बाद जिस तरह से रावण को गुणों को लेकर मीडिया व सोशल मीडिया में चर्चा होने लगी, उसे देखकर निश्चित ही रावण भी आदिपुरूष में सैफ अली खान को रावण का लूक अलाऊद्दीन खिलजी की तरह देने वालों को धन्यवाद दे रहा होगा, कि अगर रावण को अलाऊद्दीन खिलजी का लूक नही दिया गया होता तो कभी भी मेरे गुणों पर मीडिया में इतनी चर्चा नही करती क्योकि मीडिया अभी तक मेरे अवगुणों के बारे में ही देश की जनता को बताते आ रही थी। क्या मीडिया यह सवाल भी उठायेगा कि जब रावण महान ज्ञानी था तो उसे जलाने का हक भी उससे ज्यादा ज्ञानी होना चाहिए क्योकि कोई भी ऐरा गौरा रावण के पुतले को दशहरा में जला करके कही ना कही रावण का अपमान कर रहा है जैसे आदिपुरूष को बनाने वालों ने रावण को अलाऊद्दीन खिलजी का लूक देकर रावण का अपमान किया है।