October 23, 2024

पुलवामा हमले की तरह सर्जिकल अटैक की आवाज नही उठ रही इस बार

घर में घूस कर मामले पर वाला नारा कहा लापता हो गया, क्योकि कश्मीर में हत्या व पलायन के नये युग की शुरूआत हुई

कश्मीरी पंडितों का पलायन मोदी सरकार की हिन्दुत्व एजेंडा को भी पहुंचा रहा नुक्सान

कश्मीर में प्रवासी भारतीयों की हत्या व पलायन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लद्दाख में चीनी अतिक्रमण की तरह चुप्पी साधे हुए है, जबकि धारा 370 को कश्मीर से हटाने को एक उपलब्धि के तौर पर देश की जनता को इस दावे के साथ बताया गया था कि इससे कश्मीर में आंतकवाद खत्म हो जायेगा, इस पर बात तो आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी सवाल उठाने लगे है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात को लेकर है कि प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी अपनी योजना को शुरूआती श्रेय लेनेे में कोई देरी नही करते है, लेकिन जब मामला बिगड़ जाता है तो चुप्पी साध लेते है। चीन के भारतीय सीमा पर अतिक्रमण मामले पर भी मौन साधना ही उचित समझा, जबकि चीन पीछे हटने को अभी भी तैयार नही है। जिस तरह पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री पाकिस्तान को जवाबी कार्यवाही के संकेत दे रहे थे इस बार वैसे संकेत भी नही दिये जा रहे जो स्पष्ट करता है कि भाजपा के नेता इन हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार तो बता रहे हेै लेकिन मोदी सरकार सर्जिकल अटैक करने की तैयारी में नही है।

मजदूरों को कश्मीर छोडऩे की चेतावनी

कश्मीर में संदिग्ध चरमपंथियों द्वारा कश्मीरी पंडित और श्रीनगर के कैमिस्ट माखनलाल बिंदू, एक सरकारी स्कूल की सिख प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और टीचर दीपक चंद की हत्या कर देने के बाद कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पलायन की शुरूआत हुई इसके बाद संदिग्ध चरमपंथियों ने बाहर से काम करने आये लोगों पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया। भाजपा के जम्मू कश्मीर इकाई के प्रमुख रविंदर रैना का आरोप है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान और टेररिस्ट डर का माहौल बनाने में लगे है, पाकिस्तान आंतकवादियों ने एक बार फिर जघन्य अपराध किया है, कश्मीर में अपनी मेहनत के बल पर रोजी रोटी कमाने वाले मजदूरों की जिस प्रकार नृशंस हत्या की है यह जघन्य अपराध है, विपक्ष संदिग्ध चरमपंथियों के लगातार हो रहे हमले को लेकर सरकार को घेरने में जुट गया है, गौरतलब है कि मजदूरों पर हमले के बाद वह भी घाटी छोडऩे को मजबूर हो गये है मजदूरों की हत्या की जिम्मेदारी यूनाईटेड लिब्रेशन फ्रंट ने ली है, इस गुट ने कश्मीर में डेरा डाले बाहरी लोगों को चेतावनी भी दी है कि जल्द से जल्द कश्मीर से चले जाएं अन्यथा उनका साथ ही ऐसा ही किया जाएगा। रविंदर रैना ने यह नही बताया कि केंद्र मेें मोदी सरकार के रहते कैसे पाकिस्तानी आंकतवादी घाटी में घूसने में सफल रहे, क्योकि मोदी सरकार में देश की सीमाएं पूरी तरह से सुरक्षित होने का दावा किया जाता है।

भारत पाक मैच रद्द करने पर भी मोदी सरकार मौन

कश्मीर में अल्पसंख्यकों की हत्या व पलायन के बाद राजनीति गर्माने लगी है। बिहार के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता तारकिशोर प्रसाद ने ट्वेंटी -20 विश्वकप में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच पर रोक लगाने की मांग की है, जिससे पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश मिले कि अगर वो चरमंपथ का समर्थन करते रहेगा तो भारत कभी भी उसके साथ खड़ा नही होगा। चरमपंथी हमले पर मारे गये साह के पिता ने भी पाकिस्तान के साथ मैंच नहीं खेलने की मांग उठाई थी। इस मामले पर अभी तक मोदी सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नही आयी है । लोगों का कहना है कि आंकतवाद के खिलाफ लड़ाई में एक तरफ मैच दूसरी तरफ लड़ाई नही चल सकती है ? मोदी सरकार को पाकिस्तान से मैच नही खेलने का फैसला जल्द से जल्द लेना चाहिए

मौजूदा प्रशासन जिम्मेदार- सत्यपाल मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कहना है कि कश्मीर में घट रही घटनाओं के लिए मौजूदा प्रशासन जिम्मेदार है , उन्होंने कहा कि जब मैं जम्मू कश्मीर का राज्यपाल था जब कोई भी टेररिस्ट श्रीनगर के 50 से 100 किलोमीटर के दायरे में घुस भी नही सकता था, लेकिन अब टेररिस्ट श्रीनगर में लोगों की जान ले रहे है। शिवसेना सांसद संजय राऊत ने कहा कि रक्षामंत्र या फिर गृहमंत्री को देश को बताना चाहिए कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में क्या स्थिति है। उन्होंने कहा कि जब पाकिस्तान का जिक्र होता है तो सर्जिकल अटैक की बात आती है, चीन के मामले पर भी पाकिस्तान की तरह ही सर्जिकल अटैक की बात उठनी चाहिए।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के वक्त ही आगाह किया था कि इसका असर कश्मीर पर भी पड़ेगा। मैनें ये चिंता भी जाहिर की थी कि कश्मीर की खामोशी आने वाले तूफान का संकेत है। कांग्रेसी नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के उदय के बाद ऐसा अनुमान लगाया जाना चाहिए था।

बिहारी मजदूरों की हत्या से बिहार में भी गर्मायी राजनीति

कश्मीर में बिहार के मजदूरों को निशाना बनाये जाने को लेकर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिंहा से बात की। उन्होंने बताया कि बाहर के मजदूरों को निशाना बनाये जाने को लेकर राज्यपाल से चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि जम्मू कश्मीर में प्रवासियों की सुरक्षा के लिए उपाय किए जाएंगे। जबकि पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने ट्वीटर में लिखा कि कश्मीर में लगातार हमारे निहत्थे बिहारी भाईयों की हत्या की जा रही है जिससे मन व्यथित है, अगर हालात में बदलाव नही हो पाया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह जी से आग्रह है कि कश्मीर को सुधारने की जिम्मेदारी हम बिहारियों पर छोड़ दीजिए, 15दिन में सुधार नही दिया तो कहिएगा। पिछले विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी एक अहम मुद्दा था लेकिन चुनाव खत्म होने के साथ ही यह मुद्दा भी शायद खत्म हो गया , क्योकि बिहारी मजबूर जीवन यापन के लिए देश के सबसे असुरक्षित क्षेत्र में मजदूरी के लिए जाने का मजबूर होना बताता हेै कि बिहार के हालत कितने खराब है। इसके बाद भी राजनीति अपने पूरे उफान पर है।

हिन्दुत्व एजेंडा को भी पहुंच रहा नुक्सान

उत्तरप्रदेश चुनाव के पूर्व कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की हत्या व पलायन के साथ ही अल्पसंख्यकों की हत्या से कही ना कही मोदी व योगी सरकार के हिन्दुत्व के एजेंडा को भी प्रभावित कर रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कश्मीर पंडितों के पलायन को मुद्दा बना कर हिन्दुओं के बीच अपनी जगह बनाने में मोदी सरकार कामयाब थी लेकिन मोदी सरकार में कश्मीर में जो कुछ हो रहा है उससे कही ना कही मोदी सरकार के हिन्दुत्व एजेंडा को भी भारी नुक्सान पहुंचाया है कि मोदी जी ने सत्ता तक पहुंचने के लिए कश्मीर पंडितों की सहारा तो लिया लेकिन उनकी वापसी की जगह पलायन की नयी शुरूआत हो गयी है।

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