October 23, 2024

शिक्षकों का भी ड्रेस कोड तय हो !

स्कूल कॉलेजों में शिक्षक भी छात्रों की तरह पहनते है धार्मिक ड्रेस

हिजाब विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है इस मामले पर कोर्ट का क्या फैसला आता है इस पर सभी की नजर है। भविष्य में स्कूल कॉलेजों मेें हिजाब की तरह धार्मिक पोशाकों को लेकर विवाद ना गहराये, जिसकों देखते हुए सुप्रीम कोर्ट को शिक्षकों का भी ड्रेस कोड निर्धारित कर देना चाहिए, क्योकि स्कूल कॉलेजों में भी धार्मिक पोशाकों को पहनने वाले शिक्षक भी नजर आते है, जो निश्चित ही मोदी के नये भारत में एक नये विवाद को भविष्य में जन्म दे सकता है। चुनाव जीतने के लिए ध्रुवीकरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है देश में।
हिजाब विवाद इन दिनों देश की राष्ट्रीय समस्या बन गयी है। भविष्य में स्कूलों में धार्मिक पोशाकों को लेकर राजनीति ना हो इसके लिए जरूरी है कि छात्रों के ड्रेस कोड की तरह ही स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षको का भी ड्रेस कोर्ट सुप्रीम कोर्ट को लगे हाथों तय कर देना चाहिए। क्योकि देश के अधिकांश स्कूलों में शिक्षक भी धार्मिक पोशाक पहन कर छात्रों को शिक्षा देते है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जैसे हिजाब विवाद राष्ट्रीय समस्या बन गया है, आगामी अन्य चुनावों में भी शिक्षकों की धार्मिक पोशाकों का मामला भी राष्ट्रीय मुद्दा ना बने इसके लिए जरूरी है कि छात्रों के साथ ही साथ शिक्षकों के भी ड्रेस कोड तय कर दिया जाये ताकि कोई भी धार्मिक पोशक ना पहनें। मोदी के नये भारत में धार्मिक पोशाकों को लेकर जिस तरह विवाद हो रहा है उसे देखते हुए निश्चित ही कार्यालयों व अन्य जगहों पर भी ड्रेस कोड लागू कर दिया जाना चाहिए, ताकि धार्मिक विवाद की स्थिति कम से कम चुनावों के दौरान ध्रुवीकरण के लिए ना पैदा हो सके।

हर शासकीय संस्थान पर लागू हो ड्रेस कोड – रवि दुबे

बस्तर के वरीष्ठ पत्रकार व सक्षम साक्षी के संपादक रवि दुबे का कहना है कि सभी शिक्षण संस्थानों में छात्रों के साथ ही शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों पर भी ड्रेस कोड लागू किया जाना चाहिए, क्योकि शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के द्वारा धार्मिक पोशाक भी भविष्य में विवाद का कारण बनेगें। उन्होंने कहा कि पोशाक विवाद का स्थाई समाधान के लिए शासकीय कार्यालयों के साथ ही विधानसभा व लोकसभा में जनप्रतिनिधियों के लिए ड्रेस कोड का निर्धारण किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में धार्मिक पोशाकों का मामला राष्ट्रीय मुद्दा ना बन  पायें।

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