फर्जी अकाउंटों के लिए सीएए कब लायेगी मोदी सरकार
मोदी सरकार एनआरसी कानून लाकर विदेशी घुसपैठियों को बाहर निकालना चाहती है लेकिन सोशल मीडिया में फर्जी घुसपैठियों का पर्दाफॉश करने के लिए अभी तक सीएए जैैसा कानून नही बना रही है, इस दिशा में जरूर विगत दिनों कुछ कोशिश मोदी सरकार के द्वारा की गयी है लेकिन फर्जी खाताधारकों को खत्म करने की कोई मुहिम की घोषणा अभी तक नही की गयी है, जबकि सोशल मीडिया में बड़े पैमाने पर फर्जी एकाउंट मौजूद है। मोदी सरकार के मंत्री प्रकाश जावड़ेकर व रविशंकर प्रसाद का कहना है सोशल मीडिया पर हिंसा को बढ़ावा देने, अश£ीलता को प्रोत्साहित करने, औरतों का मान मर्दन, दूसरे देशों के पोस्ट शेयर करने की शिकायतें मिल रही है जिसकों रोकने के लिए सरकार नई गाईडलाइंस लेकर आ रही है। सोशल मीडिया के फर्जी एकाउंट को खत्म करने के लिए मोदी सरकार कोई रणनीति बना रही है इसका खूलासा नही किया। सवाल यह है कि मोदी सरकार किसान आंदोलन को मिल सहयोग के चलते सोशल मीडिया पर लगाम लगाने का प्रयास तो नही कर रही है क्योकि पहली बार सोशल मीडिया मोदी सरकार पर भारी पड़ रहा है जिसके चलते किसान आंदोलन की चर्चा देश विदेश में भी होने लगी है जिससे कही ना कही मोदी सरकार की छवि खराब हो रही है रिहाना का ट्वीट सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा। अभी तक सोशल मीडिया में मोदी सरकार के समर्थकों का ही पूरा कब्जा था, इसके बाद भी फजी एकांउट को लेकर मोदी सरकार द्वारा एनआरसी की तरह कोई कड़ी कार्यवाही नही करना चर्चा का विषय बना हुआ है। ज्ञात हो हाइप ऑडिटर ने जुलाई 2019 में दुनिया के 82 देशों में फेसबुक अकांउन्ट्स के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारत में एक करोड़ 60 लाख इस्टाग्राम अकांउन्ट््स फर्जी है, फेसबुक ट्वीट्र और यू ट्यूब में भी बड़ी संख्या में फर्जी एकांउट काम करते है, क्योकि देश में इंस्टाग्राम में पांच सौ लाईक के 250 रूपये ेतथा ट्विट्र पर एक हजार फॉलोवर के लिए 12 सौ से 15 सौ रूपये लिये जाने का कारोबार चल रहा है। केन्द्र सरकार इस बात को जानने के बाद भी सोशल मीडिया के फर्जी एकाउंट को बंद करने के लिए सीएए जैसा कोई कानून क्यो नही लाती ताकि फर्जी एकांउट की विदेशी नागरिकों की तरह पहचान की जा सके।