October 23, 2024

स्वामी आत्मानंद इंगलिश मीडियम स्कूल योजना

प्राईवेट स्कूलों की बढ़ती दादागिरी का छत्तीसगढ़ सरकार की स्वामी आत्मानंद इंगलिश मीडियम स्कूल योजना एक जवाब है जिसमें उच्च शैक्षणिक मापदंडों के आधार पर चयनित शिक्षकों का चयन किया गया है। और अब वे बच्चें को पढ़ाएंगें। प्राईवेट स्कूलों का गिरता शैक्षणिक स्तर, बेलगाम फीस के कारण लोगों के बीच सरकार की यह अंग्रेजी माध्यम स्कूल पहली पसंद बनी है । मार्च 2020 के बाद जैसे शैक्षणिक गतिविधियों में एक ठहराव आ गया था । और अब जिस प्रकार लाॅक डाऊन में ढिलाई हुई और स्कूली गतिविधियां हरकत में आई तो प्राईवट स्कूलों से लगातार टीसी कटना इस बात का प्रमाण है कि पालक प्राईवेट स्कूलों से तंग आ चुके हैं । मगर प्राईवेट स्कूलों से मुकाबला करना इस सरकारी उपक्रम के लिए चुनौती से कम नहीं है। इस ब्लाॅग के माध्यम से मै यह बताने की कोशिश कर रहा हूँ कि क्या चुनौतियां है और

क्या चुनौतियां आ सकती हैं ?

मगर इससे पहले तो यह समझ लेना जरूरी हो जाता है कि क्या है स्वामी आत्मानंद इंगलिश मीडियम स्कूल योजना ?
संक्षेप में समझें तो आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम योजना छत्तीसगढ़ सरकार की देन कही जा सकती है।
इसका उद्देश्य है कि छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण करना जो हर प्राईवेट स्कूल अपने उद्देष्य में कहता है।
इसका आगाज 2020-21 के शैक्षणिक सत्र में हुआ था, इससे यह साफ जाहिर है कि इस विद्यालय की स्थापना आर्थिक रूप की पिछड़े लोगों के बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं की गई है। (यह ध्यान रहें ) इस विद्यालय में सभी वर्ग के बच्चे पढ़ सकते हैं।
प्रावधान
सरकार ये बार बार कह चुकी है। जनसंपर्क की पत्रिका संबल के मुताबिक
मौजूदा वित्तिय वर्ष में 52 स्कूल भवनों के निर्माण का संकल्प लिया गया है।
शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अब तक 27 हजार 741 बच्चे दाखिल हो चुके हैं और यह संख्या इस साल बढ़ सकती है।
सबसे खास बात यह है कि ऐसे विद्यालयों में स्थापित होगें रोबोटिक्स, कम्प्युटर व लिंग्विस्टिक लैब , जगदलपुर की बात कहूँ तो प्राइवेट स्कूल में इसका केवल ढांचा बना हुआ है और इस सुविधा के नाम पर मोटी रकम पालकों से वसूल कर रहें हैं।
मगर सरकार के लिए प्राईवेट स्कूलों से मुकाबले में अपना ये उपक्रम डालना वाकई एक बड़ी चुनौती है समझने का प्रयत्न करते हैं वे क्या चुनौतियां हो सकती हैं।
उच्च मापदंडों के साथ शिक्षकों का चयन
भले इस बात पर सरकार अपनी पीठ थपथपा ले मगर हकीकत राजीव गांधी शिक्षा मिशन और हिन्दी माध्यमों के शिक्षकों को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकारी स्कूलों में स्टैण्र्डड कितना गिर चुका है । न बच्चे न ही शिक्षकों को बुनियादी ज्ञान है। तो क्या इनका चयन उच्च मापदंडों के आधार पर नहीं हुआ है क्या? नहीं वे भी उच्च शिक्षित और प्राईवेट स्कूल के शिक्षकों से कही ज्यादा योग्यता रखते हैं । तो फिर क्यों स्तर सरकारी स्कूलों का गिरा? क्यों सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी अपनी बच्चों को प्राईवेट स्कूल में पढ़ाना पसंद करने लगे ? यकीनन इसमें पैसे नहीं स्टैण्डर्ड की बात है। क्योंकि सरकारी शिक्षकों के पास पैसे तो बहुत हैं मगर वे अपने स्कूलों में स्टैर्डड नहीं दे पाए जो प्राईवेट स्कूल के कम सैलरी के शिक्षक दे रहें है। तो फिर कुछ लोग कथित मीडियम के लिए प्राईवेट स्कूलों में जाने लगे (ये और बात है जगदलपुर के एक भी स्कूल किसी भी बच्चे को एक स्तरीय अंग्रेजी नहीं सीखा पाया । )
खेलकूद और कला
प्राईवेट स्कूल यूं तो खेलकूद और कला के नाम पर बेहिसाब फीस लेती है मगर अब तक कोई भी प्राईवेट स्कूल अपने दम पर खेलकूद न ही कला पर बच्चों को कुछ भी दे पाया है । जो भी बच्चा सीखता है वह सब उसका अपना स्वंय का प्रयास और प्रशिक्षण है। अगर सरकारी स्कूल इस दिशा में कुछ कर पाए तो निसंदेह बड़ी उपलब्धि होगी क्योंकि उसके पास उच्च प्रशिक्षित शिक्षकों का स्टाफ होगा। क्योंकि आज की शिक्षा व्यवस्था पढ़ाई लिखाई के साथ बच्चों के सर्वागीण विकास पर जोर देती है । मगर प्राईवेट स्कूल इस विकास पर अब तक बुरी तरह से फेल हो चुके हैं।
शिक्षा
अगर पढ़ाई की बात करें तो प्राईवेट स्कूलों का वैसा ही बुरा हाल है जैसा वर्तमान हिन्दी माध्यमों के सरकारी स्कूलों का है। जो भी छात्र प्राईवेट स्कूलों में अव्वल आता है तो उसका श्रेय उसकी मेहनत से ली गई कोचिंग जिसे वह अतिरिक्त पैसा देकर अन्य जगहों से सीखा है और माता-पिता का अपना प्रयास है जो वे अतिरिक्त समय ले कर बच्चों को पढ़ाते हैं । मगर स्कूल अपने विज्ञापनों में अपनी शाबासी इस प्रकार बयां करते हैं मानों बच्चों के लिए वे दिनरात एक कर दिए हैं।
स्वामी आत्मांनद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के प्रति इतना आर्कषण क्यों
दो कारण हो सकते है
एक तो इसका माध्यम अंग्रजी होना
दूसरा प्राईवेट स्कूलों का स्तरहीन शिक्षा के लिए बेलगाम बेहिसाब फीस अगर आत्मानंद स्कूल केवल पढ़ाई में ही ध्यान लगा कर एक स्तरीय शिक्षा दे सके तो वह दिन दूर नहीं जब प्राईवेट स्कूलों की दादागिरी बंद हो जाएगी। उसके बाद छात्रों के सर्वागीण विकास पर नितिगत काम करे। जाहिर है ये दोनों बातें सरकारी स्कूलों के लिए आसान नहीं है । क्योंकि उच्च तनख्वाह पाने के बाद, अच्छे मापदंडों के तहत चयन के बावजूद सरकारी स्कूलों शिक्षा की हालत बड़ी दयनीय है । अगर आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल गंभीरता से इन बिन्दुओं पर काम करे तो शिक्षा पर बहुत बड़ा उपकार होगा । इस दिशा में केवल सरकार ही काम कर सकती है जैसे अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में काम किया और एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। वहाँ सरकारी स्कूलों ने प्राईवेट स्कूलों के मुकाबले अच्छा परिणाम दिया है और पढ़ाई में गुणवत्ता भी है। इस परिणाम यह है कि जनता ने इसका पुरजोर स्वागत किया है नगरनिगम चुनाव में आम आदमी पार्टी का परचम ही नजर आ रहा है। क्या आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल ऐसा मील का पत्थर साबित होगा ये तो समय ही बताएगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अब राज्य में ऐसे 100 स्कूलों के खोले जाने का एलान किया है । सबको साबित करना होगा । वी आर दी बेस्ट।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *