खेल रत्न पुरस्कार के नाम बदलने की टाईमिंग को लेकर उठ रहे है सवाल, ताकि हॉकी की सफलता का श्रेय नवीन पटनायक को नही मिल पाये
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की तरह ही राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद्र खेल रत्न करने का फैसला लेकर टोक्यों ओलंपिक में चार दशक के बाद पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों की मेहनत का भी राजनीतिकरण कर दिया है, देश में हॉकी की जीत से ज्यादा अब नाम बदलने पर राजनीति शुरू हो गयी है। टोक्यों ओलंपिक में हॉकी में जहां पुरूष की टीम ने 41 साल बाद कोई पदक जीता वही महिला हॉकी टीम ने भी पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची। हॉकी टीम की इस शानदार सफलता का श्रेय ओडि़शा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायन को देशवासी दे रहे थे, क्योकि जब हॉकी टीम को कोई प्रायोजित करने को तैयार नही था उस वक्त ओडिशा के मुख्यमंत्री सामने आये थे और उन्होंने टीम का हौसला बढ़ाने का काम किया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि टोक्यों ओलंपिक में हॉकी टीम के शानदार प्रर्दशन पर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की तारीफ को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूरे मामले को दूसरी दिशा में मोडऩे के लिए पदक जीतने के दूसरे दिन ही राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद्र खेल रत्त पुरस्कार करके अपनी तरफ खींचने में कामयाब हो गये, क्योकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह मालूम था कि कांग्रेस इसका जोर शोर से विरोध करेगी, क्योकि राजीव गांधी का नाम हटाया जा रहा था और आशा के अनुरूप कांग्रेस ने विरोध किया भी। खेल रत्त के नये नामकरण से हॉकी टीम की सफलता पर पूरी तरह से राजनीति हावी हो गयी और एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चर्चा के केंद्र बिन्दु बन गये जिसके लिए उन्होंने यह कोशिश की थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 41 साल बाद हॉकी में ओलंपिक में पदक मिलने के बाद खेल रत्न पुरस्कार के नाम बदलने का समय इसलिए चूना कि हॉकी की इस पूरी सफलता का श्रेय नवीन पटानायक को ना मिले इसलिए बगैर समय गवाएं पदक मिलने के दूसरे ही दिन ट्वीट के माध्यम से देश को यह जानकारी दी कि राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम देशवासियों की मांग पर मेजर ध्यानचंद्र रख दिया गया है। सवाल यह है कि जनता ने क्या ओलंपिक में पदक मिलने के बाद खेल रत्न पुरस्कार के नाम बदलने की मांग प्रधानमंत्री से की या पहले से ही खेल रत्न पुरस्कार बदलने की मांग कर रहे थे, इसका खुलासा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नही किया है। प्रधानमंत्री हॉकी में लम्बे समय के बाद इस सफलता को जश्र मानने के बाद भी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल सकते थे, लेकिन शायद तब तक बहुत देर हो जाती, इसलिए …..
भारतीय हॉकी खिलाडिय़ों की मेहनत पर भारी पड़ी पांच अगस्त की तारीख