कोरेाना बचाव की गाईडलाइन का नही हो रहा पालन, और ना प्रशासन है मुश्तैद
कोरोना की तीसरी लहर के बीच छत्तीसगढ़ में कोरेाना संक्रमण के प्रतिदिन तीन सौ मरीज मिल रहे है वही दूसरी तरफ बस्तर मेें लगातार कोरेाना संक्रमण के मरीज मिल रहे है, ऐसे हालातों में कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा कौन से शुरूआती कदम उठाये जा रहे है यह आम जनता के बीच भी चर्चा का विषय बनता जा रहा है, क्योकि जब मामले मेें उछाल आने लगता हेै तो जिला प्रशासन लॉकडाउन लगा कर कोरोना संक्रमण को रोकने का प्रयास करता है। दूसरी लहर के दौरान भी ऐसा ही हुआ, इसलिए जरूरी है कि तीसरी लहर से बचने के लिए अभी से रणनीति बना कर उस पर लगाम लगाने का प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि संक्रमण पर बेकाबू ना होने पाये।
कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए बस्तर में लम्बा लॉकडाउन लगाया गया, कोरोना संक्रमण के मामले में कमी आने के बाद राजधानी की तर्ज पर ही बस्तर में भी अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गयी और वर्तमान में पूरी तरह से हालात सामान्य हो गये है, वह भी ऐसे वक्त में जब कोरेाना की तीसरी लहर के संभावनाओं से किसी ने भी इंकार नही किया है। प्रदेश के साथ ही साथ बस्तर में भी कोरोना संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे है सुकमा जिले में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने शुरू हो गये है। प्रशासन के द्वारा तीसरी लहर को रोकने के लिए शुरूआती कदम उठाने की शुरूआत नही हुई है। रेल्वे स्टेशनों व बस स्टैंण्ड में बाहर से आने वालों की टेस्टिंग भी नही हो रही है। कोरेाना बचाव के लिए जो गाईडलाइन है उसका कही भी पालन होता दिखाई नही देना साबित करता है कि तीसरी लहर के लिए जमीन पूरी तरह से तैयार की जा रही है।