प्राचीन इतिहास की तरह ही, बिहार विधानसभा की घटना भी इतिहास में हमेशा याद की जाती रहेगी
फीड्म हाऊस और वी डेम इस्टीट्यूट जरूर भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठा रहे हो लेकिन मोदी सरकार में देश में लोकतंत्र नयी उंचाईयों को छू रहा है। बिहार का प्राचीन इतिहास जीतना महान है उतना ही महान वर्तमान बनाने का प्रयास बिहार मेें सत्तारूढ़ दल के द्वारा किया जा रहा है। जिससे भविष्य में लोग बिहार के इस गौरव से अज्ञान ना रहे। विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक को लेकर विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इतना हंगामा हुआ कि पुलिस को विधानसभा के अंदर घूस कर एक नये इतिहास की नींव रख दी है। सत्ता पक्ष व विपक्ष के विधायक जनता हित के लिए मारपीट तक करने लगे।
बिहार विधानसभा में विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक बिल पर इतना हंगामा हुआ कि पुलिस को ही विधानसभा के अंदर घुसना पड़ गया, विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बना लिया, उनकों छुड़ाने के लिए डीएम और एसएसपी को सदन के अंदर आना राजनीतिक के नये दौर में प्रवेश के संकेत माना जा रहा है। इस दौरान विपक्षी विधायकों और बीजेपी विधायकों में जम कर हाथापाई भी हुई। विपक्षी विधायकों को मार्शलों ने बाहर फेंका , जिसकी वजह से कई विधायक घायल भी हुए। विपक्षी महिला विधायकों को भी सुरक्षाकर्मियों ने घसीट घसीट कर बाहर निकाला गया। बिहार विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ है कि विधानसभा के बाहर पुलिस की भारी तैनाती की गयी है। नीतिश कुमार के नेत्त्व में विधानसभा के अंदर विधायकों के द्वारा मारपीट के साथ ही विधानसभा के अंदर विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक के दौरान ही पुलिस की विधानसभा में प्रवेश इस बात का प्रमाण है कि देश मोदी सरकार में बदल रहा है, और एक नये परंपरा स्थापित करने का प्रयास कर रहा है जहां पर विपक्ष की आवाज का कोई महत्व नही है। ज्ञात हो अमेरिका की फीड्म हाऊस और स्वीडन की वी डेम इस्टीट्यूट ने लोकतंत्र के गिरते स्तर पर सवाल उठाये है जिसे मोदी सरकार व उनके समर्थक सिरे से खारिज कर रहे है लेकिन बिहार विधानसभा में जो हुआ उससे कही ना कही यह सवाल तो गहराता ही जा रहा है कि सरकारें विपक्ष की आवाजों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।