October 23, 2024

मोदी सरकार में लोकतंत्र का विकास हुआ या विनाश?

अमेरिका में प्रधानमंत्री ने पुराने शासकों के लोकतंत्र का हवाला देकर भारतीय लोकतंत्र की मजबूती से दुनिया को अवगत कराने का प्रयास किया

सयुंक्त राष्ट्रसंघ महासभा में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत से अवगत कराते हुए कहा कि एक रेलवे स्टेशन में अपने पिता की मदद करने वाला आज चौथी बार प्रधानमंत्री के तौर पर यूएनजीए को संबोघित कर रहा है। गौरतलब है कि इस संबोधन के पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात में दुनिया में लोकतंत्र खतरे है का उल्लेख करते हुए हमें अपने देशों में लोकतांत्रित मूल्यों और संस्थानों की रक्षा करने की जरूरत पर जोर दिया। सवाल यह है कि मोदी सरकार के सात सालों में देश में लोकतंत्र को कितनी मजबूती मिली इसका उल्लेख भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना चाहिए था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस भारतीय लोकतंत्र का हवाला देकर अपना उदाहरण पेश किया वह पूर्व की सरकारों के द्वारा स्थापित लोकतंत्र है, जिसमें अधिकांश समय कांग्रेस की सरकार थी। जिस पर मोदी सरकार हमेशा सवाल उठाती रहती है कि उनसे देश को बर्बाद कर दिया, लेकिन उनके सरकार में लोकतंत्र आज की तुलना में मजबूत था इसलिए मोदी सरकार ने अपने सात साल के कार्यकाल में लोकतंत्र की मजबूती के बारे में नही बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका प्रवास में लोकतंत्र का मुद्दा भी छाया रहा। जिसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत के बारे में दुनिया को अवगत कराया कि एक चाय वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है लेकिन उन्होंने अपने संबोधन में अपने कार्यकाल में लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए क्या किया इसका उल्लेख नही किया तो क्या मोदी सरकार ने लोकतंत्र की मजबूती के लिए कोई भी ऐसा काम नही किया जिसका उल्लेख वह अमेरिका में करते। गौरतलब है कि किसान विगत 11 महीनों से कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन कर रहे है इस आंदोलन की चर्चा दुनिया भर में हो रही है, लेकिन मोदी सरकार के नेता इस शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों को कभी खालिस्तानी तो कभी मवाली बता करके उनके आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रहे है, पांप सिंगर रेहाना के ट्वीट पर भारतीय हस्तियों के किसान आंदोलन को आंतरिक मामला बता कर सिंगर को घेरने की कोशिश की। पूर्व मेें भी सीएए के खिलाफ शाहीनबाग आंदोलन को भी कुचलने की मोदी सरकार ने हर संभव कोशिश की गयी , जिसके चलते दिल्ली मेें दंगे भी हुई। वर्तमान में हर मुद्दे को राष्ट्रवाद से जोड़कर राफेल सौंदे की तरह ही पेगासस जासूसी मामले को भी ठंडे बस्ते मेें डालने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में सवाल तो उठता है कि वर्तमान लोकतंत्र में जनता की आवाज को कोई महत्व नही मिल रहा है, सरकार एक तानाशाह की तरह काम करती दिखाई दे रही है, कृषि बिल का राज्य सभा में बगैर वोटिंग के पास होना इसका उदाहरण है, जिसके चलते इतना बड़ा आंदोलन चल रहा है। नोटबंदी के फायदे भी सरकार ने आम जनता के सामने नही रखे है। विपक्ष के विरोध को मोदी सरकार द्वारा गंभीरता से नही ले रही है। सवाल यह है कि मोदी सरकार में लोकतंत्र का विकास हो रहा है या विनाश, जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नही किया। पूराने शासकों के लोकतंत्र का हवाला देकर भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का उल्लेख किया जाना लोकतंत्र का विकास नही माना जा सकता है। लोकतंत्र की मजबूती के लिए हमारी सरकार ने क्या किया यह अहम है।

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